Migratory Birds Arrive in Khichan: शीतकालीन प्रवास पर प्रवासी पक्षी कुरजां का खींचन में आना हुआ शुरु!

Wed, Sep 24 , 2025, 08:10 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

फलौदी: मंगोलिया, चीन और कजाकिस्तान से हजारों किलोमीटर का सफर तय करके अपने शीतकालीन प्रवास पर हर साल राजस्थान में फलौदी जिले के खींचन गांव में आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।

खींचन गांव में इन प्रवासी पक्षियों का पहले जत्थे (करीब डेढ़ सौ) ने यहां तालाबों पर पड़ाव डाल दिया है। इससे पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई हैं। इन प्रवासी पक्षियों की सेवा में लगे प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी एवं समाजसेवी सेवाराम माली ने बताया कि विजयसागर तालाब एवं रातड़ी नाडी पर इन पक्षियों ने अपना पड़ाव डाला है। 

उन्होंने बताया कि खींचन में बने चुग्गा घर की अभी सफाई नहीं हो पाई है और सप्ताह भर बाद चुग्गा घर इन पक्षियों को चुग्गा डालने के लिए तैयार हो जायेगा। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले इन पक्षियों के आने से पहले यह चुग्गा घर तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है।

उन्होंने कहा कि हर साल इन पक्षियों के आने का समय लगभग तय रहता है और ये सितंबर शुरु होने के साथ ही इनके आना शुरु हो जाता हैं और इससे पहले यहां चुग्गा घर , तालाब आदि पर साफ सफाई और आवारा कुत्तों से इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पहले ही होने चाहिए थे लेकिन पर्यटन को बढ़ावा देने वाले इन पक्षियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं हैं।

माली ने कहा कि खींचन में लगातार इन पक्षियों की संख्या बढ़ती जा रही है और पिछले साल इनकी संख्या 40 हजार से ऊपर पहुंच गई थी और इनकी वापसी भी कुछ देरी से हुई थी। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि खींचन में अभी तक बर्ड रेस्क्यू सेंटर भी नहीं बन पाया है।

उन्होंने बताया कि गत 27 अगस्त को ही आसमान में कुरजां मंडराती नजर आ गई थी लेकिन यहां चुग्गा घर में बड़ा-बड़ा घास होने एवं सफाई नहीं होने के कारण इन पक्षियों ने कई खेतों में अपना डेरा बनाया और अब पिछले सप्ताह विजयसागर एवं रातड़ी नाडी तालाबों पर उतरना शुरु हुए और अब वे समूह के रुप में नजर आने लगी है।

माली ने बताया कि ग्राम पंचायत की तरफ से इस चुग्गा घर की सफाई कराई जा रही है और सप्ताह भर बाद ही यह चुग्गा घर पक्षियों को चुग्गा डालने के लिए तैयार हो पायेगा। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार को पिछले दिनों ही रामसर साइट घोषित किए इस पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने एवं इन पक्षियों का खींचन में पड़ाव स्थल बनाये रखने के लिए कोई ठोस कदम उठाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर व्यवस्थाओं के इस तरह के हालात चलते रहे तो आने वाले समय में ये पक्षी अपना ठिकाना कहीं और बना लेंगे।

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