Mankeeping : पति नहीं, घर पर 'दूसरा बच्चा'? पढ़ें क्या है 'मैनकीपिंग' जो रिश्तों को बर्बाद कर देती है

Mon, Dec 15 , 2025, 12:02 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Mankeeping : क्या आपने कभी किसी औरत को यह कहते सुना है कि उसे ऐसा लगता है कि घर पर उसके पति के बजाय उसका "दूसरा बच्चा" है? अगर ऐसा है, तो वह शायद 'मैनकीपिंग' (Mankeeping) के बारे में बात कर रही है।

यह शब्द पहली बार में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसकी सच्चाई आज कई घरों और रिश्तों का एक गंभीर हिस्सा बन गई है। यह हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इतनी गहराई से समाया हुआ है कि जब तक आप पूरी तरह से थक नहीं जाते, तब तक इस पर ध्यान नहीं जाता। जब आप इसका असली मतलब समझेंगे, तो आप समझ जाएंगे कि औरतें इससे इतनी परेशान क्यों होती हैं।

कोई पेमेंट नहीं, कोई पहचान नहीं
सोचिए कि हर दिन सैकड़ों काम करना, अलग-अलग रोल निभाना, लेकिन पेमेंट या पहचान न मिलना। असल दुनिया में "मैनकीपिंग" ऐसा ही दिखता है।

औरतें लगातार अपने पार्टनर के मूड को मैनेज करने और उनका "इमोशनल सपोर्ट" बनने की कोशिश करती हैं। आप इसे घर पर एक "थेरेपिस्ट" और "प्रोजेक्ट मैनेजर" के तौर पर काम करने जैसा सोच सकते हैं – बिना किसी तारीफ या सपोर्ट की उम्मीद किए। औरतें अक्सर अपने पार्टनर की प्रॉब्लम सॉल्व करती हैं, उन्हें शांत करती हैं, और रिश्ते को ट्रैक पर रखती हैं, साथ ही अपने काम और गोल भी मैनेज करती हैं।

हर चीज़ का ध्यान रखने से एक ‘खोखलापन’ रह जाता है

सबसे थकाने वाला हिस्सा यह है कि यह काम कभी-कभी नहीं, बल्कि हर दिन करना पड़ता है। क्योंकि रिश्तों में यह कोशिश एकतरफ़ा होती है, इसलिए यह धीरे-धीरे आपकी एनर्जी और खुशी खत्म कर देती है।

जब आप लगातार “देते” रहते हैं और बदले में आपको ज़रूरी सपोर्ट नहीं मिलता, तो गुस्सा बढ़ता है। औरतें अक्सर इमोशनली थकी हुई महसूस करती हैं। ऐसा लगता है कि वे सब कुछ संभाल रही हैं, लेकिन उनके लिए कुछ नहीं बचा है। जब कोई एक इंसान यह पूरा अनदेखा बोझ उठा लेता है, तो रिश्ते स्ट्रेसफुल हो जाते हैं और टूट जाते हैं।

क्या आप उनके पार्टनर हैं या ‘केयरटेकर’?

टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी और मर्दों के बीच घटती दोस्ती इस प्रॉब्लम की एक बड़ी वजह है। कई मर्दों के पास अपनी फीलिंग्स शेयर करने या सोशल कनेक्शन बनाए रखने के लिए टूल्स या आदतें नहीं होती हैं।

नतीजा यह होता है कि उनके पार्टनर को यह खालीपन भरना पड़ता है। इससे एक बहुत ही अजीब बैलेंस बनता है, जहाँ औरतें अपने पति या बॉयफ्रेंड की “केयरटेकर” बन जाती हैं। इससे रिश्ते में बराबरी खत्म हो जाती है और औरतों को अपनी जगह नहीं मिलती।

इस जाल से कैसे बाहर निकलें?
अच्छी खबर यह है कि इस कहानी को बदला जा सकता है। बदलाव जागरूकता से शुरू होता है।

सवाल पूछें: औरतें अब पुरानी उम्मीदों और मुश्किल रिश्तों पर सवाल उठा रही हैं, जहाँ उनकी मेहनत की कद्र होती है।
सीमाएँ तय करें: अपने पार्टनर के लिए हमेशा इमोशनली अवेलेबल रहने के बजाय, अपनी सीमाएँ तय करना ज़रूरी है।
खुलकर बात करें: एकतरफ़ा देखभाल को आपसी देखभाल में बदलने के लिए खुली बातचीत ज़रूरी है।
अगर आप लगातार किसी का मूड ठीक करने और उनकी सोशल लाइफ़ को मैनेज करने की कोशिश कर रहे हैं, तो याद रखें कि यह न सिर्फ़ मुमकिन है, बल्कि अपने मन की शांति वापस पाने के लिए ज़रूरी भी है। यह समझना ज़रूरी है कि आप सिर्फ़ देखभाल करने वाले नहीं हैं, बल्कि आपकी अपनी ज़रूरतें भी हैं। अपने पार्टनर से ईमानदारी से बात करें और अपनी मेंटल हेल्थ को प्रायोरिटी दें।

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