Mokshada Ekadashi Vrat: हिंदू कैलेंडर में एकादशी व्रत का खास महत्व है। साल में 24 एकादशी होती हैं, जिनमें से मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashis) को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। शास्त्रों में इस तिथि को मोक्ष देने वाली बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से न सिर्फ व्यक्ति को बल्कि उसकी सात पीढ़ियों को भी मोक्ष मिलता है। द्रुक पंचांग के अनुसार, 2025 में मोक्षदा एकादशी का व्रत सोमवार, 1 दिसंबर को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पापों से मुक्ति और मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। इसी दिन भगवद गीता (Bhagavad Gita) का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी का शुभ समय और तारीख
द्रिक पंचांग के अनुसार:
एकादशी तिथि शुरू: रविवार, 30 नवंबर, 2025 रात 9:29 बजे।
एकादशी तिथि खत्म: एकादशी सोमवार, 1 दिसंबर, 2025 शाम 7:01 बजे खत्म होगी।
पारण (व्रत तोड़ना): पारण का समय 12वें दिन सुबह होने के बाद होता है। क्योंकि एकादशी का व्रत उदय तिथि के हिसाब से रखा जाता है, इसलिए यह व्रत 1 दिसंबर, 2025 को ही रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि और पूजा के नियम
मोक्षदा एकादशी का व्रत दशमी की रात से शुरू होता है और द्वादशी के दिन व्रत तोड़ने के साथ खत्म होता है। व्रत रखने वालों को दशमी की रात से ही सात्विक खाना खाना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। उसके बाद एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें और साफ कपड़े पहनें। हाथ में जल लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। अपने मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। उन्हें गंगाजल, पीले फूल, तुलसी के पत्ते, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। पारण के दिन, यानी बारहवें दिन, शुभ मुहूर्त में ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान करें। उसके बाद खुद भी भोजन करें और व्रत खोलें।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
‘मोक्षदा’ नाम का मतलब है ‘मोक्ष देने वाली’। इस एकादशी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष का द्वार खुल जाता है। ऐसा माना जाता है कि बताए गए रीति-रिवाजों के अनुसार यह व्रत करने से व्यक्ति के पूर्वज नरक की यातनाओं से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत कथा सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एक शुभ तिथि है क्योंकि महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन गीता का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है।



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Fri, Nov 21 , 2025, 07:34 PM