Sridevi's East Coast Road property: बोनी कपूर पहुंचे मद्रास हाईकोर्ट; श्रीदेवी की संपत्ति पर 'फर्जी दावे' को रद्द करने की मांग!

Tue, Aug 26 , 2025, 07:34 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

चेन्नई: प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म निर्माता बोनी कपूर (Boney Kapoor) ने पत्नी दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी के चेन्नई के पास ईस्ट कोस्ट रोड पर खरीदी गयी संपत्ति पर दावा करने वाले तीन व्यक्तियों द्वारा प्राप्त फर्जी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग को लेकर मद्रस उच्च न्यायालय (Madras High Court) का दरवाजा खटखटाया है। दिवंगत अभिनेत्री ने 1998 में समुद्र तट से सटे (ईसीआर) पर एक फार्महाउस के साथ यह संपत्ति खरीदी थी। वर्ष 2018 में उनका निधन हो गया।

न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने बोनी कपूर की ओर से दायर रिट याचिका पर आदेश पारित करते हुए तांबरम के तहसीलदार याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत उस 'फर्जी' कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को रद्द करने के अनुरोध पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है, जो अब तीन व्यक्तियों के पक्ष में जारी किया गया है तथा ये तीन व्यक्ति संपत्ति पर अपना अधिकार जता रहे हैं।

अपनी याचिका में कपूर ने चेंगलपट्टू जिला कलेक्टर और तांबरम के तहसीलदार को गत अप्रैल में दिए गए उनके आवेदन पर निर्णय लेने और तीनों को जारी किए गए कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी कि उनकी पत्नी ने 1998 में मायलापुर निवासी एमसी संबंदा मुदलियार से यह संपत्ति खरीदी थी और श्रीदेवी के परिवार के पास इस संपत्ति का पूर्ण कब् था, जिसका इस्तेमाल अब एक फार्महाउस के रूप में किया जा रहा है। 

मूल मालिक मुदलियार के तीन बेटे और दो बेटियाँ थीं और उन्होंने 1960 में आपस में संपत्ति का बंटवारा कर लिया था। इस बंटवारे के दस्तावेज के आधार पर श्रीदेवी ने संपत्ति खरीद ली और बिक्री दस्तावेज़ को विधिवत पंजीकृत भी करा लिया। हाल ही में उनके परिवार के तीन सदस्यों ने संपत्ति पर अपना हिस्सा मांगना शुरू कर दिया है। वे तीन बेटों में से एक की दूसरी पत्नी और दो बच्चों के रूप में दावा करते हैं और उन्होंने 2005 में कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र हासिल कर लिया।

कपूर ने तांबरम तहसीलदार के उस अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है जिसके तहत उन्होंने प्रमाणपत्र जारी किया था, जबकि मूल भूमि मालिक मुदलियार का परिवार तांबरम में नहीं, बल्कि मायलापुर में रहता था। मामले के तथ्यों को देखते हुए कपूर ने तर्क दिया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत तीनों को न तो प्रथम श्रेणी का और न ही द्वितीय श्रेणी का उत्तराधिकारी माना जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि तीनों ने राजस्व अधिकारियों से संपर्क करके और संपत्ति पर फर्जी दावा पेश करके कई दीवानी मुकदमे दायर करके परेशानी खड़ी की है।

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