Malegaon blast acquitted: सत्रह साल पुराने मालेगांव सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में सातों आरोपी बरी

Thu, Jul 31 , 2025, 09:27 PM

Source : Uni India

मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के मालेगांव में 17 साल पहले हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले (bomb blast case) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता एवं पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को गुरुवार को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने आठ सितंबर-2006 को हुए हमलों के सिलसिले में सभी सातों आरोपियों को बरी करने का आज फैसला सुनाया। इनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर , सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित , सुधाकर धर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त) , सुधाकर ओंकारनाथ चतुर्वेदी, अजय राहिरकर उर्फ राजा और समीर कुलकर्णी उर्फ चाणक्य समीर शामिल हैं।

मामले का दिलचस्प पहलू यह भी रहा कि दो अन्य प्रमुख आरोपी - इंदौर निवासी रामजी उर्फ रामचंद्र कलसांगरा और संदीप डांगे- अभी भी वांछित हैं हालांकि एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने पूर्व में इन दोनों को एटीएस द्वारा मार गिराने का दावा किया था। गौरतलब है कि इस्लामी कैलेंडर के महत्वपूर्ण दिन शब-ए-बारात की शाम मालेगांव के भीड़भाड़ वाले इलाकों, विशेषकर बड़ा कब्रिस्तान, मुशावरा चौक और हमीदिया मस्जिद में आठ सितंबर-2006 सिलसिलेवार तीन विस्फोट हुए। घटना में 37 लोगों की जानें गयी थी और अन्य 312 घायल हुए। महाराष्ट्र के घनी आबादी वाले शहर को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट की घटना के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसके करीब दो साल बाद 29 सितंबर-2008 की रात मालेगांव में अंजुमन चौक और भिक्कू चौक के बीच एक और विस्फोट हुआ। नवरात्रि और रमजान के पवित्र महीने के दौरान हुए इस विस्फोट से छह लोगों की मौत हो गयी और 101 लोग घायल हुए थे।


वर्ष 2006 के मालेगांव विस्फोटों की प्रारंभिक जांच नासिक ग्रामीण पुलिस ने की थी, लेकिन बाद में इसे महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) को सौंप दिया गया। एटीएस जांच का नेतृत्व तत्कालीन विशेष महानिरीक्षक एवं अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ) के पूर्व अधिकारी हेमंत करकरे ने किया। जांच के दौरान घटनाक्रम ने उस समय मोड़ लिया जब श्री करकरे की नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों (26/11) के दौरान मौत हो गयी। बाद में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया।


अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि विस्फोट हिंदू कट्टरपंथी समूहों की ओर से रचे गए थे, जिसमें विशेष रूप से अभिनव भारत का नाम लिया गया था। पीड़ित परिवारों के अधिवक्ता शाहिद नदीम अंसारी ने कहा, “ हम यहीं नहीं रुकेंगे। हम बॉम्बे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का भी रुख करेंगे।” अधिवक्ता अंसारी ने कहा कि 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 लोगों को बरी किए जाने के 24 घंटे के भीतर शीर्ष अदालत का रुख़ किया जिन्हें पहले एक विशेष मकोका अदालत ने दोषी ठहराया था।

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