Canara Bank Ambani Fraud: केनरा बैंक ने अनिल अंबानी की कंपनी के ऋण खाते के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप वापस लिया!

Thu, Jul 10 , 2025, 09:49 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकिंग उपक्रम केनरा बैंक (banking undertaking Canara Bank) ने गुरुवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को सूचित किया कि उसने उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी के 1,050 करोड़ रुपये के ऋण खाते को “धोखाधड़ी” वाले खाते के रूप में वर्गीकृत करने का अपना फैसला वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि जून में, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस के ऋण खाते को “धोखाधड़ी” वाले खाते के रूप में वर्गीकृत किया था। केनरा बैंक ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसकी इकाई को दिए गए 1,050 करोड़ रुपये के ऋण के दुरुपयोग के आरोप में संबंधित ऋण खाते को “धोखाधड़ी वाला खाता” के रूप में चिह्नित कर दिया था। केनरा बैंक का आरोप था कि उससे कर्ज पूंजीगत व्यय और ऋण चुकौती के लिए लिया गया था। बैंक ने कहा था कि मूल रूप से 2017 में स्वीकृत कर्ज की उस धनराशि का कंपनी ने दुरुपयोग किया गया था। बैंक ने इस आरोप में खाते को नवंबर 2024 में इसे “धोखाधड़ी वाला खाता” घोषित कर दिया था।

केनरा बैंक ने आरोप लगाया था अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशंस ने उस ऋण पर लागू मूल शर्तों का उल्लंघन किया गया और ऋण राशि को समूह की कंपनियों के साथ लेनदेन , म्यूचुअल फंड और अचल संपत्तियों में निवेश करने धन की दूसरे कामों के लिए हेराफेरी की । केनरा बैंक ने आरोप लगाया, “ प्राप्त ऋण की राशि को को म्यूचुअल फंड और अचल संपत्तियों में भी निवेश किया गया और संबंधित और गैर-संबंधित पक्षों को भुगतान करके इधर-उधर कर दिया।”

अनिल अंबानी समूह ने बैंक के इस कदम को अदालत में चुनौती दी थी और तर्क दिया कि बैंक ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते समय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बैंक के सभी आरोपों का खंडन किया है और ज़ोर दिया कि कंपनी 2018 से दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत चल रही है, इस लिए उसको धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी की घोषणा से चल रही दिवाला प्रक्रियाओं में बाधा नहीं आनी चाहिए, क्योंकि इससे पुनर्गठन के प्रयास उलझ सकते हैं। कंपनी ने केनरा बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी वाले खातों के वर्गीकरण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के मास्टर सर्कुलर के अनुपालन को लेकर चुनौती दी थी। जिसमें यह अनिवार्य किया गया है कि किसी भी ऋण खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला करते समय पहले कर्जदार को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। फरवरी माह में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस मामले में आगे की सुनवाई तक बैंक के आदेश पर रोक लगा दी थी और सवाल उठाया था कि क्या बैंक निर्धारित प्रक्रियाओं और इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पालन कर रहे हैं।

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