मुंबई। मुस्लिम संगठनों का एक गठबंधन मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल के संबंध में शहर की पुलिस की मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को चुनौती देने के लिए बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है।
यह निर्णय सोमवार को महाराष्ट्र जमात-ए-उमा के अध्यक्ष मौलाना हलीमुल्लाह खान (Maulana Haleemullah Khan) कासमी, जमात-ए-अहल-ए-हदीस मुंबई के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल सलाम सलाफी और पूर्व मंत्री मुहम्मद आरिफ नसीम खान सहित प्रमुख मुस्लिम नेताओं की बैठक में लिया गया। बैठक में प्रतिभागियों ने लाउडस्पीकरों पर शीर्ष न्यायालय और बम्बई उच्च न्यायालय के फैसलों की कानूनी समीक्षा की।
मुस्लिम नेताओं ने कानूनी विशेषज्ञ मुहम्मद यूसुफ मचला के मार्गदर्शन में उच्च न्यायालय और यदि आवश्यक हुआ तो शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का संकल्प लिया।
पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान (Arif Naseem Khan) ने कहा कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के नए निर्देश गैरकानूनी हैं और शीर्ष न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के पूर्व निर्देशों का खंडन करते हैं। न्यायालयों ने ध्वनि स्तर की सीमाओं को संबोधित किया है जबकि पुलिस एसओपी के अनुसार मस्जिदों को लाउडस्पीकर लगाने के लिए स्वामित्व दस्तावेज और नगर निगम की मंजूरी प्रदान करनी होगी।
मौलाना हलीमुल्लाह खान कासमी ने मस्जिद की सुरक्षा और अजान से संबंधित मुद्दों पर बात करते हुए राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया। मौलाना अब्दुल सलाम सलाफी ने धार्मिक मुकदमों का एकता और आस्था के साथ सामना करने की बात कही। वकील करीम पठान और आलम खान ने उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय के निर्णयों पर चर्चा की।
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