दोहा। संयुक्त राष्ट्र संघ अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए वहां के अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप-विशेष प्रतिनिधि एवं अफगानिस्तान के लिए समन्वयक इंद्रिक रत्वाटे (Indrik Ratwatte) ने यह जानकारी दी ।
उन्होंने कतर में सामाजिक विकास पर विश्व शिखर सम्मेलन में कहा, "सबसे बड़ी चुनौती महिलाओं और बालिकाओं के संबंध में अधिकारियों की नीतियों से संबंधित है। आप जानते हैं कि 2022 और 2023 में जारी किए गये आदेश के तहत गैर-सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों में काम करने वाली महिलाओं की भागीदारी को प्रतिबंधित कर दिया गया है और बालिकाओं की माध्यमिक शिक्षा पर भी रोक लगा दी गयी हैं। मैंने लगातार संबंधित अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा उठाया है और उनसे इन प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि फिलहाल यह छूट केवल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र (education and healthcare sectors) में कार्यरत महिलाओं के लिए है। इससे पहले श्री रत्वाटे ने संरा महासभा ने कहा था कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति निरंतर बिगड़ती जा रही है और उम्मीद की किरणें बहुत कम दिखाई दे रही हैं। उन्होंने घोषित क्षमादान के बावजूद लैंगिक उत्पीड़न में वृद्धि, शारीरिक दंड में वृद्धि, जबरन गुमशुदगी और पूर्व अधिकारियों पर हमलों की चेतावनी दी थी और कहा था कि मीडिया की स्वतंत्रता और नागरिक समाज पर भी प्रतिबंध बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों को प्रतिबंधित करने वाले किसी भी आदेश को वापस नहीं लिया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र(United Nations) के लिए काम करने वाली अफगान महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र परिसरों में प्रवेश करने से रोकने के हालिया कदमों की ओर इशारा करते हुए कहा, "अफगानिस्तान की कई महिलाओं को उनके काम करने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यह मौलिक अधिकारों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के समानता एवं गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय (international community)के लिए प्राथमिकता नहीं है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र को इस वर्ष अफगानिस्तान में मानवीय कार्यक्रमों के लिए आवश्यक धनराशि का केवल 37 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा, "हमें अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं मिलती। मानवीय प्रतिक्रिया योजना हर वर्ष उस साल के अंत में तैयार की जाती है। इससे पता है कि 2025 के लिए मानवीय अपील के तहत अब तक केवल 37 प्रतिशत धनराशि ही उपलब्ध हो पाई है, यानी 60 प्रतिशत का अंतर है। मौजूदा सयम में हम केवल सबसे कमज़ोर लोगों को ही मदद पहुंचा पाते हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष और धनराशि में अगले वर्ष और कटौती होने की उम्मीद है, क्योंकि प्रमुख संकटों और संघर्षों के कारण अफगानिस्तान अब प्राथमिकता में नहीं है।
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Thu, Nov 06 , 2025, 07:12 PM