अमरोहा। भारतीय किसान यूनियन (Samyukt Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी (Naresh Chaudhary) ने कहा कि जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते तिगरी मेले (Tigri Mela) में ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार हजारों किसान भरे मन से निराश लौटने को विवश हो गए। चौधरी ने कहा कि इस बार यह उत्सव उस समय किसानों के लिए निराशा का केंद्र बन गया जब डेरे डालने की पर्याप्त जगह न होने की वजह बताई गई तो ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार हजारों किसान भरे मन से गंगा मेले से निराश लौटने को विवश हो गए। उन्होंने कहा कि गंगा स्नान मेला किसानों का अभिन्न अंग है, जो धार्मिक शांति प्रदान करता है। इस उपेक्षा से किसानों की भावनाओं को गहरा आघात पहुंचा है।
भाकियू ने इसे जिला प्रशासन की घोर लापरवाही करार दिया है। उन्होंने इस संबंध में एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग की है। यूनियन के नेताओं का कहना है एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 26 अक्टूबर को गढ़ मेला आगमन पर श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के साथ श्रद्धालुओं के मेले में पहुंचने का आह्वान किया गया था वहीं दूसरी ओर मेला प्रबंधन जगह की कमी बता कर ट्रैक्टर ट्रालियों का रुख़ कांकाठेर की ओर मोड़ दिया गया जिससे निराश श्रद्धालुओं का घर वापस लौटना जिला प्रशासन की बड़ी विफलता है।
उन्होने कहा कि 28 अक्टूबर को गंगा किनारे वीआईपी रोड़ पर लगे श्रद्धालुओं के तंबू उखाड़ दिए गए थे जिससे प्रताड़ना का शिकार किसानों को आध्यात्मिक संतुष्टि से भी वंचित रहना अच्छा अनुभव नहीं रहा। राष्ट्रीय सचिव अरुण सिद्धू ने कहा कि तिगरी गंगा मेले की चमकती तस्वीर के पीछे का सच यह भी है कि लाखों श्रद्धालु बेहद निचले स्तर पर अंधेरे के दलदल में पड़े रहे। किसान नेताओं ने श्रद्धालुओं की भलाई के लिए तिगरी गंगा मेले से जुड़ी तमाम अव्यवस्थाओं पर गंभीरता से विचार करने तथा लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मुख्यमंत्री से मांग की।
मेला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए किसान नेता नरेश चौधरी ने कहा कि अन्नदाताओं के लिए न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध न कराना एक तरह से अपराध है। यूनियन ने मांग की है कि इसके लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो और अगले वर्ष ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि श्रद्धालु बीच रास्ते से वापस न लौटाएं जाएं। यह घटना व्यापक संदर्भ में इसलिए चिंताजनक है कि श्रद्धालुओं के ठहरने के लायक अधिकांश जमीन प्रशासनिक, वीआईपी, जिला पंचायत के लिए आरक्षित कर दी गई। भाकियू नेताओं ने कहा कि किसान देश की रीढ़ हैं, फिर भी सरकारी योजनाओं में उनकी उपेक्षा जारी है।यह गुरु नानक देव जी के 'सर्वे सांझीवाल' के सिद्धांत के विपरीत है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि सुधार न हुए तो किसान संगठन आंदोलन तेज करेंगे। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की पीड़ा समझे और मेले को सशक्त बनाए। अन्यथा किसान हक की लड़ाई में अडिग रहेंगे, क्योंकि अन्नदाता सम्मान, राष्ट्र का सम्मान है।
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Thu, Nov 06 , 2025, 08:19 PM