नागपुर: महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने निर्माण कार्यों में प्राकृतिक नदी रेत के विकल्प के रूप में विनिर्मित रेत (एम-सैंड) के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नयी नीति की घोषणा की है जिसका इसका मकसद रेत की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना, अवैध खनन पर रोक लगाना और पर्यावरणीय क्षरण को कम करना है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने सभी जिलाधिकारियों को इस नीति को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
नयी रूपरेखा के तहत जिलाधिकारियों को प्रत्येक जिले में अधिकतम 100 एम-सैंड उत्पादन इकाइयों को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है, जबकि पहले इसकी सीमा 50 इकाइयों की थी। नीति दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकारी और निजी भूमि, जो एम-सैंड इकाइयों की स्थापना के लिए उपयुक्त हैं, उनके विवरण 'महाखनिज' पोर्टल पर नीलामी के लिए प्रकाशित किए जाएंगे। पंजीकृत उद्यमियों को इन स्थलों पर एम-सैंड निर्माण इकाइयाँ स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। सरकार ने अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रावधान किए हैं।
नीति में स्पष्ट कहा गया है कि निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों के लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिए जाएंगे। इस पहल से जिम्मेदार खनन प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा और राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास को समर्थन मिलेगा। बावनकुले ने कहा कि एक स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार हो जाने से नीति का क्रियान्वयन अब तेज और अधिक पारदर्शी होगा। राज्य सरकार का लक्ष्य एम-सैंड को मुख्य निर्माण सामग्री के रूप में स्थापित करना है, ताकि प्राकृतिक नदी रेत पर निर्भरता कम हो और पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनतम रहे।



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Wed, Oct 29 , 2025, 07:55 AM