नयी दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) कार्यालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका उद्येश्य उन्नत डाटा विश्लेषण पर आधारित अनुमानों के परस्पर आदान प्रदान, क्षमता विकास और प्रणालियों को मजबूत करने में सहयोग कर दोनों के काम को और प्रभावशाली बनाना है । बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इस करार के तहत दोनों संगठन आपसी हित के क्षेत्रों में क्षमता विकास और अनुसंधान गतिविधियों में शैक्षणिक, प्रशिक्षण और अनुसंधान संपर्क तथा सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेंगे। इस समझौता ज्ञापन पर सीबीडीटी के अध्यक्ष रवि अग्रवाल (Ravi Agarwal) और उप-सीएजी (Commercial and CRA) एएम बजाज ने कैग के. संजय मूर्ति की उपस्थिति में मंगलवार को हस्ताक्षर किये।
कैग ने कहा है कि इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से दोनों विभागों के बीच व्यावसायिक सहयोग और क्षमता निर्माण के प्रयासों, विशेष रूप से डेटा-संचालित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के बीच कौशल अंतर को पाटने और आपसी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रणनीतिक ढाँचे के रूप में काम करेगा। कैग श्री मूर्ति ने बताया कि यह साझेदारी कई पहलों पर केंद्रित होगी, जिनमें प्रशिक्षण कार्यशालाएँ, संयुक्त सेमिनार, उन्नत डेटा विश्लेषण पर आधारित लेखा परीक्षा अंतर्दृष्टि साझा करना और जीएसटी लेखा परीक्षा तथा अन्य क्षेत्रों/क्षेत्रों में दूरस्थ लेखा परीक्षा जैसे नवीन तरीकों का उपयोग शामिल है। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थानों के लक्ष्य समान हैं, इसलिए कैग कार्यालय सीबीडीटी द्वारा पहचानी गई प्रणालियों को मजबूत करने में उसकी मदद कर सकता है, क्योंकि कैग अधिकारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी उभरती तकनीकों में प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित किया जा रहा है।
कैग ने विश्वास व्यक्त किया कि यह औपचारिक साझेदारी पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद करेगी तथा इससे परिचालन की प्रभावशीलता बढेगी। मूर्ति ने नये आयकर कानून 2025 के मद्देनजर राजस्व लेखा परीक्षा अधिकारियों को सीबीडीटी से नियमों और विनियमों पर अद्यतन प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने खरीद प्रक्रियाओं और आंतरिक नियंत्रण को मजबूत करने के लिए लेखा परीक्षा विशेषज्ञता साझा करने की भी पेशकश की। सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने आईटी अधिनियम 2025 से होने वाले परिवर्तनों का खाका खींचा और कहा कि पहले के दखलंदाज़ी वाले दृष्टिकोण की जगह अब विवेकपूर्ण और गैर-दखलंदाज़ी वाला दृष्टिकोण अपनाया गया है।
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Wed, Sep 24 , 2025, 06:19 PM