नयी दिल्ली: समुद्री क्षेत्र (Maritime Sector) के सामरिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में जहाज निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (shipbuilding and maritime ecosystem) को पुनर्जीवित करने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के एक दीर्घावधिक व्यापक पैकेज को मंज़ूरी दी। इस पैकेज के पूरी तरह क्रियान्वित होने पर जहाजरानी और समुद्री परिवहन क्षेत्र में 4.5 लाख करोड़ का नया निवेश आकर्षित होने तथा रोजगार के 30 लाख नये अवसर सृजित होने की संभावनाएं हैंं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण, रेल और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मांमलों के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह पैकेज घरेलू क्षमता को मज़बूत करने, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार करने, नये और पहले से चल रहे शिपयार्डेां के विकास को बढ़ावा देने, तकनीकी क्षमताओं और कौशल को बढ़ाने, और एक मज़बूत समुद्री बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए कानूनी, कराधान और नीतिगत सुधारों को लागू करने हेतु तय किए गए महत्वपूर्ण दृष्टिकोणों को परिलक्षित करता है।
इस निर्णय के बारे में जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पैकेज के तहत, जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना (एसबीएफएएस) को 31 मार्च 2036 तक बढ़ाया जाएगा, जिसकी कुल राशि 24,736 करोड़ रुपये होगी। इस योजना का उद्देश्य भारत में जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है और इसमें 4,001 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ शिपब्रेकिंग (पुराने पोतों को तोड़ने वाले उद्योग) के लिए ऋण सुविधा भी शामिल है। सभी पहलों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन भी स्थापित किया जाएगा।
इस क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करने हेतु 25,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ समुद्री विकास कोष (एमडीएफ) को मंजूरी दी गई है। इसमें एक 20,000 करोड़ रुपये का समुद्री निवेश कोष होगा जिसमें केंद्र सरकार की 49 प्रतिशत होगी। इसके साथ परियोजना को बैंकिंग सहायता के लिए अधिक आकर्षक बनाने हेतु 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज प्रोत्साहन कोष शामिल होगा। सरकार का कहना है कि इससे ऋण की प्रभावी लागत को कम करने में मदद मिलेगी। मंत्रिमंडल ने जहाजरानी और समुद्री परिवहन क्षेत्र के लिए इस पैकेज के तहत 19,989 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय वाली जहाज निर्माण विकास योजना (एसबीडीएस) को स्वीकृति दी है।
इसका उद्देश्य घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को सालाना 45 लाख सकल टन भार तक बढ़ाना, मेगा जहाज निर्माण समूहों को सहायता प्रदान करना, बुनियादी ढाँचे का विस्तार करना, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के अंतर्गत भारत जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना करना और जहाज निर्माण परियोजनाओं के लिए बीमा सहायता सहित जोखिम कवरेज प्रदान करना है। इस पैकेज से लगभग 30 लाख रोजगार सृजित होने और भारत के समुद्री क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। सरकार का कहना है कि अपने आर्थिक प्रभाव के अलावा, यह पहल महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं और समुद्री मार्गों की क्षमता को मजबूत बना कर राष्ट्रीय, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करेगी।
यह भारत के भू-राजनीतिक लचीलेपन और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को भी मज़बूत करेगी, आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगी और भारत को वैश्विक नौवहन एवं जहाज निर्माण में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित करेगी। समुद्री क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, जो देश के लगभग 95 प्रतिशत व्यापार को मात्रा के हिसाब से और 70 प्रतिशत मूल्य के हिसाब से समर्थन देता है। इसके मूल में जहाज निर्माण है, जिसे अक्सर "भारी इंजीनियरिंग की जननी" कहा जाता है, जो न केवल रोज़गार और निवेश में महत्वपूर्ण योगदान देता है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक स्वतंत्रता और व्यापार एवं ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन को भी बढ़ाता है।
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Wed, Sep 24 , 2025, 04:23 PM