शिमला: हिमाचल प्रदेश लगातार मानसूनी बारिश की मार झेल (brunt of incessant monsoon rains) रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने पुष्टि की है कि 20 जून से अब तक 404 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में 404 से 229 लोगों की मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़, डूबने, बादल फटने और मकान ढहने जैसी बारिश से जुड़ी घटनाओं के कारण हुईं, जबकि 175 अन्य सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, जिससे इस पहाड़ी राज्य के नाज़ुक परिवहन नेटवर्क की कमज़ोरी (fragile transport network) उजागर होती है।
एसडीएमए ने इस तबाही को "अभूतपूर्व" बताया और अनुमान लगाया कि कुल नुकसान लगभग 44,890 करोड़ रुपये का हुआ है। राज्य में आपादाओं से 462 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं, 41 लापता हैं और हज़ारों मवेशी मारे गए हैं। साथ ही ज़िलों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, सड़कें, बिजली आपूर्ति लाइनें, जल योजनाएं, स्वास्थ्य सुविधाएं और स्कूल ठप हो गए हैं। लगातार भूस्खलन, ढहती दीवारें और नदियों व बांधों में बढ़ता जल स्तर मानव बस्तियों के लिए खतरा बना हुआ है। कल तक, 373 वितरण ट्रांसफार्मर और 188 जलापूर्ति योजनाएं काम नहीं कर रही थीं, जिससे हज़ारों घरों का संपर्क टूट गया। मंडी, कुल्लू, शिमला और किन्नौर में सड़कें अवरुद्ध हैं, जबकि आपातकालीन टीमें किरतपुर-मनाली फोर-लेन (एनएच-3) और किन्नौर जाने वाले एनएच-5 जैसे प्रमुख मार्गों को बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।
कृषि और बागवानी क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, 8,278 हेक्टेयर फसलें और 6,036 हेक्टेयर बाग़ान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सेब उत्पादक जो पहले से ही सड़क अवरोधों से जूझ रहे हैं, बाज़ार में अधिक आपूर्ति और परिवहन बाधाओं का सामना कर रहे हैं, जिससे हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ को झटका लगा है। कई घाटियों में सब्ज़ियों की आपूर्ति श्रृंखला भी चरमरा गई है। आतिथ्य और पर्यटन उद्योग, जिसने इस गर्मी की शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मंदी देखी थी, एक बार फिर संकट में है। मूसलाधार बारिश, रेल और हवाई यातायात बाधित होने और सड़क दुर्घटनाओं ने घरेलू और विदेशी पर्यटकों को हतोत्साहित किया है, जिससे शिमला, मनाली और धर्मशाला के होटल और रिसॉर्ट बुकिंग रद्द होने से जूझ रहे हैं।
आपदा से प्रभावित जिलों में मंडी में 61 लोगों की मौत हुयी, कांगड़ा में 55, चंबा में 50, कुल्लू में 44 और शिमला में 43 सबसे ज़्यादा मौतें और नुकसान हुआ है। राहत कार्य जारी हैं लेकिन हवाई उड़ानें और सड़क मार्ग अक्सर मौसम के कारण बाधित होते हैं, जिससे फंसे हुए निवासियों को बचाव और खाद्य आपूर्ति में देरी हो रही है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के वापस लौटने के कोई संकेत नहीं दिखने के कारण, हिमाचल प्रदेश आगे की चुनौतियों के लिए तैयार है। सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर लोगों और मशीनों को तैनात किया है लेकिन एसडीएमए ने चेतावनी दी है कि राहत कार्य एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होगी।
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Mon, Sep 15 , 2025, 02:54 PM