चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने अवैध निर्माणों पर कार्रवाई न करने से संबंधित अवमानना मामले में गुरुवार को अदालत में उपस्थित होकर बिना शर्त माफी मांगने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारी और ग्रेटर चेन्नई निगम आयुक्त जे कुमारगुरुबरन पर एक लाख रुपये जुर्माने के अपने पिछले आदेश को रद्द कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन (K R Sriram and Justice Sundar Mohan) की प्रथम पीठ ने आयुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति और माफ़ी पर ध्यान देते हुए जुर्माना लगाने के पिछले आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा कि अधिकारी ने जानबूझकर अवज्ञा नहीं की थी और उन्होंने इस पर खेद व्यक्त किया है। पीठ ने बुधवार को एक अधिवक्ता और पूर्व पार्षद रुक्मंगथन द्वारा दायर अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान नगर निकाय के आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई और कुमारगुरुबरन को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समन जारी किया।
याचिकाकर्ता के अनुसार ग्रेटर कॉर्पोरेशन 2021 में पारित उच्च न्यायालय के उस आदेश को लागू करने में विफल रहा है जिसमें उत्तरी चेन्नई के रॉयपुरम और अन्य इलाकों में अनधिकृत इमारतों और निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला की पीठ ने रुक्मंगथन द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए आयुक्त की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह जुर्माना अधिकारी के वेतन से काटा जाना चाहिए जिसका भुगतान अड्यार कैंसर संस्थान को किया जाना चाहिए।
आयुक्त की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जे रवींद्रन ने नरमी बरतने का आग्रह करते हुए कहा कि कार्रवाई में विफलता जानबूझकर नहीं की गई थी और अधिकारी ने इस चूक की जिम्मेदारी ली है।
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Thu, Jul 10 , 2025, 09:43 PM