China largest dam water bomb: भारत सिंधु संधि रद्द करके पाकिस्तान से निपटने के बारे में सोच रहा है, वहीं चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर सबसे बड़ा बांध बना रहा है। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Minister Pema Khandu) ने आशंका जताई है कि यह विशाल बांध भारत के लिए 'वाटर बम' (water bomb) जाएगा। क्योंकि चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसलिए, यह स्पष्ट है कि चीन किसी भी संकेत का पालन नहीं करेगा। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है।
चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता!
मुख्यमंत्री खांडू ने कहा, 'मुद्दा यह है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि वे कब क्या कर देंगे।' उन्होंने आगे कहा कि चीन से सैन्य खतरों के अलावा, मेरी राय में यह किसी भी अन्य मुद्दे से बड़ी समस्या है। यह हमारे जनजाति और हमारे जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है क्योंकि चीन इसका इस्तेमाल वाटर बम की तरह कर सकता है।
चीन की विशाल बाँध योजना
यारलुंग त्सांगपो बाँध के नाम से प्रसिद्ध इस बाँध की योजना की घोषणा तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग ने 2021 में सीमा क्षेत्र के दौरे के बाद की थी। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने 2024 में 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से इस योजना के निर्माण को मंज़ूरी दी थी। इस बाँध से 60,000 मेगावाट बिजली पैदा होने का अनुमान है। यह इसे दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना बना देगा।
भारत को खतरा क्यों?
मुख्यमंत्री खांडू ने कहा कि अगर चीन ने अंतर्राष्ट्रीय जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर किए होते, तो कोई समस्या नहीं होती। क्योंकि जल प्रणाली के लिए बेसिन के निचले हिस्से में एक निश्चित मात्रा में पानी छोड़ना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, अगर चीन ने अंतर्राष्ट्रीय जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर किए होते, तो यह योजना भारत के लिए वरदान साबित होती। इससे अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश में, जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, मानसून के दौरान आने वाली बाढ़ को रोका जा सकता था। खांडू ने कहा कि, लेकिन समस्या यह है कि चीन ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। मान लीजिए कि बाँध बनकर तैयार हो गया और उन्होंने अचानक पानी छोड़ दिया, तो हमारा पूरा सियांग क्षेत्र तबाह हो जाएगा। खासकर आदिवासी और उनके जैसे अन्य समूह न केवल अपनी सारी संपत्ति, ज़मीन खो देंगे, बल्कि मानव जीवन के लिए भी विनाशकारी समस्याओं का सामना करेंगे।
चीन कोई जानकारी साझा नहीं कर रहा है..
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसीलिए अरुणाचल प्रदेश सरकार ने भारत सरकार से परामर्श के बाद सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना नामक एक परियोजना की योजना बनाई है, जो एक रक्षा तंत्र के रूप में काम करेगी और जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि चीन या तो अपनी तरफ़ काम शुरू करने वाला है या शुरू कर चुका है। लेकिन वे कोई जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं। अगर बाँध का निर्माण पूरा हो जाता है, तो भविष्य में हमारी सियांग और ब्रह्मपुत्र नदियों में पानी का प्रवाह काफ़ी कम हो सकता है।"
भारत की जवाबी योजना क्या है?
अगर भारत की जल सुरक्षा के लिए सरकार की अपनी योजना तैयार हो जाती है, तो हम अपने बाँध से पानी की ज़रूरत पूरी कर पाएँगे। अगर चीन भविष्य में पानी छोड़ता है, तो बाढ़ ज़रूर आएगी। लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए, खांडू ने कहा कि राज्य सरकार इस क्षेत्र के स्थानीय जनजातियों और लोगों से बात कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक बैठक आयोजित की है।
चीन के इस कदम के खिलाफ हम क्या कर सकते हैं? इस पर मुख्यमंत्री खांडू ने कहा कि सरकार सिर्फ़ विरोध दर्ज करके चुप नहीं बैठ सकती। उन्होंने कहा कि चीन को कौन समझाएगा? हम चीन को अपने कारण नहीं समझा सकते। इसके बजाय, हमें खुद को तैयार करना चाहिए। चीन का बांध हिमालय पर्वत श्रृंखला के विशाल महाद्वीप पर बन रहा है। जहाँ से नदी यू-टर्न लेकर अरुणाचल प्रदेश में बहती है।
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Wed, Jul 09 , 2025, 08:01 PM