दुमका। झारखंड में संताल परगना के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले बुद्धि जीवियों ने राज्य सरकार से संताल परगना प्रमंडल की प्रमुख क्षेत्रीय भाषा अंगिका (Major regional language Angika) को नियोजन नीति नियमावली एवं जेटेट परीक्षा (JTET examination) में शामिल करने की मांग की है। अंगिका भाषा-भाषी, दुमका के साहित्यकार, अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमडंल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को संबोधित एक मांग पत्र संताल परगना प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप-निदेशक को इस आशय से संबंधित एक मांग पत्र सौंपा।
पूर्व विधायक कमलाकांत सिन्हा और अंगिका भाषा के प्रख्यात साहित्यकार डॉ रामवरण चौधरी (Dr. Ramvaran Chaudhary) के नेतृत्व में बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधि मंडल ने मांग पत्र सौंपा। मांग पत्र में कहा गया है कि प्राचीन भारत के सोलह जनपदों में से संताल परगना भी अंग प्रदेश भी उक्त जनपद का हिस्सा था। दानवीर राजा कर्ण अंग देश के राजा थे। जिनके अस्तित्व के प्रमाण झारखंड में भी है। अंगिका अंग देश की भाषा थी , जो आदिकाल से बोली एवं लिखी पढ़ी जाती रही है और यह प्रवाह आज भी बनी है। मांग पत्र में यह भी जिक्र किया गया कि तिलका माँझी का कार्य क्षेत्र संताल परगना रहा है। उनके सम्मान में अविभाजित बिहार राज्य के भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम तिलका माँझी विश्वविद्यालय रखा गया है।
जहां अंगिका भाषा की पढ़ाई एवं शोध कार्य होता रहा है। पत्र में कहा गया है कि पूर्व में भी प्रारंभिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2007, झारखंड अधिविद्य परिषद्, रांची द्वारा आयोजित जेटेट 2012, 2016 सहित झारखंड कर्मचारी चयन आयोग रांची द्वारा आयोजित वनरक्षी एवं सिपाही नियुक्ति परीक्षा में भी अंगिका भाषा से प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। मालूम हो कि "झारखंड गजट असाधारण अंक संख्या 1084 रांची सोमवार 10 दिसंबर 2018 (ई०) के द्वारा भी अंगिका को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया था। ऐसे में संताल परगना प्रमंडल की प्रमुख क्षेत्रीय भाषा अंगिका को नजर अंदाज कर नियोजन नीति नियमावली जेटेट की परीक्षा में शामिल नहीं करना क्षोभ का विषय है।
मांग पत्र में राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि संताल परगना प्रमंडल की प्रमुख क्षेत्रीय भाषा 'अंगिका' को झारखंड राज्य नियोजन नियमावली में पुनः शामिल करने की कृपा की जाय ताकि भाषा के स्तर पर अंगिका भाषा- भाषी बेरोजगार नौजवानों, छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। मांग पत्र में हस्ताक्षर करने वाले बुद्धिजीवियों में अधिवक्ता सह साहित्यकार अमरेन्द्र सुमन, विद्यापति झा, वंशीधर पंडित, मधुर कुमार सिंह, समाजसेवी मनोज कुमार घोष, दुर्गेश कुमार चौधरी, नवीन चंद्र ठाकुर, अरुण सिन्हा, अंजनी शरण, प्रभाष चंद्र ठाकुर, मो.जमील अख्तर, गौतम कुमार, विनोद बिहारी सारस्वत, मो0 मुसाफिर अंसारी एवं अखिलेश कुमार झा भी शामिल हैं।
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Tue, Jul 08 , 2025, 09:35 PM