Ban on plastic waste: समुद्र में प्लास्टिक कचरे पर रोक की संधि पर बल दिया भारत ने

Tue, Jun 10 , 2025, 09:42 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली। भारत ने विश्व समुदाय से वैश्विक महासागर संधि किये जाने तथा समुद्र (Sea) में प्लास्टिक कचरे के प्रवाह पर पर बाध्यकारी पाबंदी लगाने की जरूरत पर बल दिया है और कहा कि देश सागर-अन्वेषण , प्लास्टिक कचरे (Plastic waste) की सफाई और मछली पकड़ने के स्वस्थ तरीके अपनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल की हैं।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh)ने फ्रांस के नीस में तीसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (UNOC3) में महासागरों के स्वास्थ्य पर तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया और वैश्विक महासागर संधि पर जोर दिया। पृथ्वी विज्ञान विभाग की ओर से यहां मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ सिंह ने भारत में गहरे सागर क्षेत्रीय मिशन (Deep Ocean Mission) के अंतर्गत मानवयुक्त पनडुब्बी अभियान की योजना, राष्ट्रव्यापी एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और 80 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की ब्लू इकोनॉमी परियोजनाओं पर प्रगति की जानकारी दी।

फ्रांस और कोस्टा रिका द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में भारत ने राष्ट्रीय सीमाओं से बाहर सागरीय जैव विविधता पर समझौते (बीबीएनजे) को जल्दी से अंगीकार किये जाने के प्रस्ताव का भी समर्थन किया तथा कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक प्लास्टिक संधि की वकालत की।

डॉ सिंह ने कहा, “ महासागर हमारी साझा विरासत और जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा कि भारत सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और स्वदेशी समुदायों सभी हितधारकों- के साथ मिलकर काम करने तैयार है, ताकि महासागरों का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

डॉ सिंह ने जल के नीचे जीवन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और बताया कि किस तरह भारत की पहल का उद्देश्य विज्ञान, नवाचार और समावेशी भागीदारी के माध्यम से महासागरों का क्षरण रोकना और उसे पुनर्जीवित करना है। इसी संदर्भ में उन्होंने डीप ओशन मिशन की ‘समुद्रयान’ परियोजना का जिक्र किया, जिसके तहत 2026 तक भारत की पहली मानवयुक्त पनडुब्बी तैनात हो जाने की उम्मीद है। इस परियोजना का उद्देश्य 6,000 मीटर तक की समुद्र की गहराई का पता लगाना है और इसे भारत की वैज्ञानिक क्षमता में एक बड़ी छलांग के रूप में देखा जा रहा है।

डॉ. सिंह ने ‘स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर’ अभियान के ठोस परिणामों की ओर इशारा किया, जिसके तहत भारत के 1,000 किलोमीटर से अधिक तटीय क्षेत्र को साफ किया गया है और 2022 से 50,000 टन से अधिक प्लास्टिक कचरे को हटाया गया है। उन्होंने सागरमाला कार्यक्रम और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और 10,000 हेक्टेयर से अधिक मैंग्रोव की बहाली और प्रकृति-आधारित समाधानों का उपयोग करके तटरेखा प्रबंधन योजनाओं के कार्यान्वयन का उल्लेख किया।

महासागरों संबंधी वैश्विक व्यवस्था के संचालन में भारत की भूमिका बढ़ी है। फ्रांस और कोस्टा रिका के साथ भारत ने ‘ब्लू टॉक्स’ का सह-नेतृत्व किया और समुद्री स्थानिक नियोजन पर अलग से आयोजित भारत-नॉर्वे सत्र में सक्रिय भागीदारी निभायी।

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