गुवाहाटी: असम सरकार (Assam government) ने भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने या रहने वाले बंगलादेशी नागरिकों पर कड़ा रुख दोहराते हुए कहा है कि लगभग 330 अवैध प्रवासियों (330 illegal migrants) को वापस भेजा गया है और उनमें से कोई भी वापस नहीं आया है।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा (CM Himanta Biswa Sarma) ने सोमवार को विधानसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा , “उनके लिए वापस लौटना संभव नहीं है और हम इसके लिए दृढ़ हैं और उनकी वापसी में तेज़ी लायी जाएगी। जिस तरह से बंगलादेश और पाकिस्तान से अवैध प्रवासी राज्य में घुसे हैं, हमें राज्य को सुरक्षित रखने के लिए और ज़्यादा सक्रिय कदम उठाना होगा।”
मुख्यमंत्री कांग्रेस के देवव्रत सैकिया और एआईयूडीएफ के अशरफुल हुसैन सहित विपक्षी सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर चर्चा की मांग का जवाब दे रहे थे। इस मुद्दे को उठाते हुए सैकिया ने कहा कि सरकार ने अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का दावा किया है, लेकिन उनमें से कुछ फिर से असम में प्रवेश कर चुके हैं, जिससे इस मुद्दे पर सरकार का रुख अस्पष्ट हो गया है।
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि राज्य सरकार ने अवैध निष्कासन अधिनियम 1950 को सुदृढ़ करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अवैध निष्कासन अधिनियम 1950 के अंतर्गत, अगर जिला आयुक्त को विश्वास हो जाता है कि कोई व्यक्ति विदेशी है, तो वह न्यायाधिकरण को मामला भेजे बिना उसे हटा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री बिमला प्रसाद चालिहा से प्रेरणा ली है, जिन्होंने अवैध प्रवासियों को वापस भेजा था। उन्होंने कहा, “असम में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के दो तरीके हैं, एक न्यायाधिकरण और दूसरा अवैध निष्कासन अधिनियम 1950 द्वारा। इसमें 'पुश बैक' शब्द नहीं है, बल्कि 'रिमूव' शब्द है।”
इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार ने लगभग 2600 फेसबुक खातों की पहचान की है, जो इस्लामाबाद, रियाद और सऊदी अरब से संचालित हो रहे थे। उन्होंने कहा, “वे राहुल गांधी का भी स्वागत नहीं करते, लेकिन असम के एक विशेष व्यक्ति का स्वागत करते हैं। मेरे पास दस्तावेज हैं, अगले 10 से 12 दिनों के अंदर मैं मीडिया को ऐसे खातों के बारे में कुछ जानकारी प्रदान करूंगा।”
उन्होंने कहा, “इन अकाउंट से सिर्फ़ दो विषयों पर पोस्ट होते हैं, या तो फ़िलिस्तीन पर या असम पर, इसके अलावा कुछ नहीं। मैं यह नहीं कह रहा कि असम के मुसलमान मूल निवासी नहीं हैं। मूल निवासी एक धर्मनिरपेक्ष परिभाषा है। यह एक बड़ी साज़िश है और हमें क़ानून की प्रक्रिया द्वारा इसका विरोध करना चाहिए।”
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Tue, Jun 10 , 2025, 07:31 AM