श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Chief Minister Omar Abdullah) दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में मंगलवार को एक विशेष कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करेंगे। केन्द्रशासित प्रदेश में पिछले महीने हुए आतंकवादी हमले के बाद पर्यटकों के बीच विश्वास बहाल करने के उद्देश्य से एक प्रतीकात्मक कदम उठाया जा रहा है। इसके अलावा अब्दुल्ला बुधवार को उत्तरी कश्मीर के गुलमर्ग के स्की रिसॉर्ट में मंत्रियों, प्रशासनिक सचिवों, कश्मीर के संभागीय आयुक्त, विभाग प्रमुखों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार पहलगाम और गुलमर्ग में होने वाली बैठक का उद्देश्य सुरक्षा विशेष तौर पर पर्यटकों को सामान्य स्थिति का एक मजबूत संदेश देना और घाटी में पर्यटन के पुनरुद्धार को प्रोत्साहित करना है। पिछले साल सरकार के गठन के बाद यह पहली बार होगा जब अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली कैबिनेट बैठक राजधानी श्रीनगर और जम्मू से बाहर हो रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, 'बैठक का उद्देश्य पहलगाम में स्थानीय लोगों के साथ एकजुटता दिखाना और पर्यटकों को आश्वस्त करना है कि कश्मीर एक सुरक्षित गंतव्य है।' गौरतलब है कि पहलगाम के पास बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद से पर्यटकों के आगमन में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जिससे पर्यटन क्षेत्र में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
यह पहली बार नहीं है जब अब्दुल्ला ने ऐसा कदम उठाया है। वर्ष 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान उन्होंने कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा के करीब कैबिनेट बैठकें बुलाई थीं, जिसमें दूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को श्रीनगर में कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जहाँ उन्होंने स्थानीय पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए लक्षित उपायों की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया। इनमें अंतर-राज्य पर्यटन को बढ़ावा देना और स्कूलों और कॉलेजों को जम्मू और कश्मीर के भीतर भ्रमण आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है।
अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री और संसदीय कार्य विभाग से अपील की है कि वे संसद की स्थायी और परामर्शदात्री समिति की बैठकें कश्मीर में आयोजित करें, ताकि लोगों में जागरूकता बढ़े और उनमें आत्मविश्वास पैदा हो। उन्होंने हाल ही में नीति आयोग के सम्मेलन में भाग लेने वालों से सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) सम्मेलनों, एमआईसीई (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ) कार्यक्रमों और घाटी में अन्य राष्ट्रीय स्तर के समारोहों को सुविधाजनक बनाने में मदद करने का भी आग्रह किया।
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