नयी दिल्ली। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन(NMCG) ने पारिस्थितिकीय तंत्र की बहाली के जरिए गंगा जीर्णोद्धार (Ganga restoration) के लिए प्रमुख परियोजनाओं को मंगलवार को मंजूरी दी। एनएमसीजी महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल (Rajiv Kumar Mittal) की अध्यक्षता में हुई एनएमसीजी की 62वीं कार्यकारी समिति की बैठक में महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि के संरक्षण और शहर-विशिष्ट पुन: उपयोग योजनाओं के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श किया। समिति ने उन परियोजनाओं को मंजूरी दी है जो गंगा बेसिन में इको-सिस्टम की बहाली के उद्देश्यों के अनुरूप हैं।
गौरतलब है कि नमामि गंगे कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र दशक द्वारा शीर्ष दस, विश्व बहाली प्रमुख पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। एनएमसीजी की बैठक में आगरा और प्रयागराज जिलों के लिए शहरी योजनाओं की तैयारी और उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग पर प्रशिक्षण के लिए गंगा बेसिन में जल-संवेदनशील शहर बनाने के लिए क्षमता निर्माण पहल परियोजना के लिए 34.50 लाख रुपये के वित्तपोषण को भी मंजूरी दी गई है। इसी तरह से बिहार के भोजपुर नथमलपुर भगड़-वेटलैंड संरक्षण और सतत प्रबंधन परियोजना को हरी झंडी दी गई है जिसकी अनुमानित लागत 3.51 करोड़ रुपये है।मंत्रालय ने यह भी बताया कि अब तक, नमामि गंगे के तहत चार वेटलैंड के संरक्षण को मंजूरी दी जा चुकी है जिनमें उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर की कालेवाड़ाझील, नामिया दाह झील,प्रयागराज, रेवती दाह वेटलैंड, बलिया तथा उधवा झील-रामसर साइट साहिबगंज, झारखंड शामिल है।
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