क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप किसी बार या रेस्तरां में जाते हैं, तो वहां प्रत्येक पेय के लिए अलग गिलास होता है! वाइन, व्हिस्की, शैंपेन और कॉकटेल के लिए अलग-अलग शैलियाँ उपलब्ध हैं। लेकिन, यह सिर्फ सजावट या दिखावे के लिए नहीं है, इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क छिपा है। आइये आज देखें कि इन चश्मों का उपयोग क्यों और कैसे किया जाता है!
1. वाइन ग्लास: वाइन पीते समय हमेशा लंबे तने वाला ग्लास परोसा जाता है। स्टेम को पकड़ते समय आपके हाथ की गर्मी से वाइन के तापमान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, इसलिए वाइन का स्वाद और ठंडक एक समान बनी रहती है।
रेड वाइन के लिए बड़े और थोड़े चौड़े गिलास का उपयोग किया जाता है ताकि सुगंध नाक तक ठीक से पहुंचे।
सफेद वाइन के लिए थोड़ा छोटा और कम चौड़ा गिलास इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसे ठंडा रखना महत्वपूर्ण होता है।
2. शैम्पेन ग्लास: शैम्पेन और स्पार्कलिंग वाइन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक लंबा, पतला ग्लास, जिसे 'फ्लूट ग्लास' कहा जाता है। इससे शैंपेन के बुलबुले लंबे समय तक बने रहते हैं और हर घूंट के साथ ताजगी का एहसास होता है।
3. व्हिस्की ग्लास: ये ग्लास पीने के तरीके के आधार पर दो अलग-अलग शैलियों में आते हैं।
पुराने जमाने का ग्लास: यह ग्लास मोटा और चौड़ा होता है। व्हिस्की को बर्फ के टुकड़ों के साथ 'ऑन द रॉक्स' (पत्थरों पर) पीया जाता है।
स्निफ्टर ग्लास: गोल तल और पतले मुंह वाले इस ग्लास का उपयोग ब्रांडी, रम या शुद्ध व्हिस्की पीने के लिए किया जाता है। जब गिलास को हाथ में धीरे से गर्म किया जाता है तो पेय की सुगंध बढ़ जाती है।
4. शॉट ग्लास: एक छोटा गिलास, जिसका उपयोग टकीला और वोदका जैसे पेय पदार्थों के लिए किया जाता है जिन्हें एक ही घूंट में खत्म किया जाता है।
5. बीयर ग्लास: बीयर परोसते समय मग या पिंट ग्लास का उपयोग किया जाता है। मग में हैंडल होता है, जबकि पिंट ग्लास को सीधे हाथ में पकड़ा जाता है।
तो, अब से जब भी आप बार में जाएं, तो विभिन्न प्रकार के गिलासों के पीछे छिपे इस तर्क को अवश्य याद रखें!
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Sat, Apr 26 , 2025, 10:30 AM