घर का मुख्य द्वार सिर्फ आने-जाने का रास्ता नहीं है, बल्कि यह सुख-समृद्धि के प्रवेश का माध्यम है। इस स्थान से न केवल आप, बल्कि आपके साथ घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ परिणाम भी प्रवेश करते हैं। लोग अक्सर सोचते हैं कि अगर घर का मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार है तो सब कुछ ठीक है। लेकिन सच तो यह है कि घर के अन्य दरवाजे भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। ज्योतिषी और वास्तु विशेषज्ञ रवि पाराशर दरवाजों के वास्तु और हमारे जीवन पर उनके प्रभाव के बारे में जानकारी देते हैं।
दरवाज़ों की संख्या
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार दरवाजों की संख्या विषम होनी चाहिए, जैसे 3, 5, 7, 9 या 11। विषम संख्याएं ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित रखती हैं।
कौन सा दरवाज़ा बड़ा होना चाहिए?
अक्सर घरों में एक मुख्य दरवाजा होता है जिसके माध्यम से हम घर में प्रवेश करते हैं। याद रखें, यह मुख्य प्रवेश द्वार सबसे बड़ा और दोहरा होना चाहिए। क्योंकि यही वह द्वार है जिसके माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। अन्य दरवाजे भी काम करेंगे, भले ही वे एकतरफा हों, लेकिन प्रवेश द्वार आकार और चौड़ाई में सबसे बड़ा होना चाहिए।
दरवाज़ा किस दिशा में खुलना चाहिए?
बहुत कम लोग इस ओर ध्यान देते हैं। याद रखें कि दरवाज़ा हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई मेहमान आए और उसे दो कदम पीछे हटना पड़े क्योंकि दरवाजा बाहर की ओर खुलता है। वास्तु के अनुसार इसे अच्छा नहीं माना जाता। इससे घर में आर्थिक परेशानियां आती हैं और घर के लोगों को तरक्की के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।
दरवाजे की आवाज शुभ है या अशुभ?
कभी-कभी जब दरवाज़े खोले जाते हैं तो चरमराहट की आवाज़ आती है। ऐसी ध्वनियाँ ऊर्जा के प्रवाह को बाधित करती हैं। यदि ऐसा है, तो दरवाजों की मरम्मत करवाएं ताकि आवाज बंद हो जाए। कभी-कभी दरवाजों पर पुराने जमाने की लोहे की जंजीरें जैसी चीजें लगी होती हैं, जिन्हें अशुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण और पश्चिम दिशा में दरवाजों की संख्या न्यूनतम होनी चाहिए। यदि घर में दो प्रवेश द्वार हैं, एक उत्तर की ओर और दूसरा दक्षिण-पश्चिम की ओर, तो सुनिश्चित करें कि उत्तर का दरवाजा बड़ा हो और दक्षिण-पश्चिम का दरवाजा छोटा हो। इससे उत्तर दिशा से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहेगा।
मंगल कलश
यह कलश शुक्र और चंद्रमा के प्रभावों का प्रतिनिधित्व करता है। इसे मुख्य प्रवेश द्वार के पास रखना बहुत शुभ माना जाता है। यदि आपने घर के मुख्य द्वार पर शुभ कलश स्थापित किया है तो ध्यान रखें कि कलश का मुंह खुला और बड़ा होना चाहिए। इसमें साफ पानी भरें और यदि संभव हो तो इसमें फूलों की पंखुड़ियां डालें। यदि आपके पास पारंपरिक कलश नहीं है, तो आप एक चौड़े मुंह वाले जार में पानी भरकर उसे दरवाजे के पास रख सकते हैं। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती और सकारात्मकता फैलती है। ये छोटे-छोटे उपाय आपके घर को शांति, सौभाग्य और समृद्धि का केंद्र बना सकते हैं।
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Wed, Apr 23 , 2025, 10:00 AM