होली रंगों (holi colors) का त्योहार (Festival) है जो पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी क्रम में इस वर्ष होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। होली वसंत ऋतु के स्वागत में मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार हमें बुरी भावनाओं को मिटाकर नई शुरुआत करने की सलाह देता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी होली के त्यौहार का आनंद लेते हैं, शायद ही कोई ऐसा हो जिसे होली खेलना पसंद न हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां लोगों ने कई सालों से होली नहीं खेली है?
होली खेलना तो दूर, यहां के लोगों ने लंबे समय से रंगों को छुआ भी नहीं है। कुछ पौराणिक कहानियाँ, कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ या सांस्कृतिक मान्यताएँ होली के उत्सव की कमी के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में आज हम इस लेख में यह जानेंगे कि देश के किन हिस्सों में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है।
महाबलीपुरम, तमिलनाडु
तमिलनाडु के महाबलीपुरम शहर में होली कभी नहीं मनाई गई। होली खेलने के बजाय यहां लोग मासी मगम नामक धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि इस दिन स्वर्ग से आत्माएं और देवता धरती पर आते हैं। इसलिए यहां होली पर रंग खेलने की बजाय पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड
पहाड़ों और खूबसूरती के लिए मशहूर उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है, जहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता। दरअसल, रुद्रप्रयाग जिले के क्वीली और कुरजां गांव में मान्यता है कि त्रिपुर सुंदरी को शोर बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए यहां देवी के इस रूप को ध्यान में रखते हुए होली नहीं मनाई जाती।
रामसन, गुजरात
गुजरात में एक ऐसा गांव भी है जहां पिछले 200 सालों से किसी ने होली नहीं मनाई है। राज्य के बनासकांठा जिले के रामसन गांव में होली खेलने पर प्रतिबंध है। दरअसल, इसके पीछे एक श्राप छिपा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, एक राजा के गलत कार्यों से नाराज कुछ संतों ने गांव को श्राप दिया था कि अगर यहां होली मनाई गई तो बुरा समय आ जाएगा।
दुर्गापुर, झारखंड
झारखंड के बोकारो जिले में एक ऐसा गांव है जहां होली खेलना पूरी तरह प्रतिबंधित है। यहां दुर्गापुर गांव में सौ साल पहले घटी एक घटना के कारण इन दिनों होली नहीं मनाई जाती। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस गांव के राजा के बेटे की मृत्यु होली के दिन हुई थी, जिसके बाद दुखी होकर राजा ने होली न मनाने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं, बाद में राजा की मृत्यु भी होली के दिन ही हुई। इसलिए आज तक लोग राजा के इस आदेश का पालन कर रहे हैं।
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Fri, Mar 14 , 2025, 11:15 AM