Mahashivratri 2025: भारतीय संस्कृति में उपवास (Fasting) का विशेष महत्व है और कहा जाता है कि अन्न ही पूर्ण ब्रह्म है। जिस प्रकार प्रकृति को परिवर्तन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार शरीर को भी परिवर्तन की आवश्यकता होती है। शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए उपवास बहुत जरूरी है। उपवास का अर्थ है हल्का या सादा भोजन करना। उपवास दैनिक आधार पर भोजन से परहेज करके शरीर को शुद्ध करने का एक प्राकृतिक तरीका है। आषाढ़ी एकादशी, महाशिवरात्रि,(Mahashivratri) रामनवमी, हरतालिका तीज, श्रावण मास और नवरात्रि जैसे व्रतों में व्रत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यदि महाशिवरात्रि का व्रत है तो यह व्रत किस प्रकार किया जाना चाहिए? क्या खाएं क्या न खाएं? डॉ. गणेश जाधव ने इसकी जानकारी दी है।
उपवास के पीछे की अवधारणा है "उपा" (fasting) और "वसा" (starvation) अर्थात आप कितनी देर तक भूखे रह सकते हैं। अब अगर देखा जाए तो कई बार लोग उपवास के दौरान बहुत ज्यादा खाना खा लेते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार कहा गया है कि आपको केवल जल पर ही रहना चाहिए। लेकिन जो लोग पानी पर उपवास नहीं कर सकते, उनके लिए भगवार और शकरकंद सबसे अच्छा उपाय है, ऐसा डॉ. गणेश जाधव कहते हैं।
कुट्टू में कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है, जिससे इसे पचाना बहुत आसान होता है। यह वजन घटाने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत करता है, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और मधुमेह रोगियों के लिए एक आदर्श भोजन है। आहार में दही, छाछ, बाजरा, शकरकंद और फल शामिल करने चाहिए।
उपवास के दिनों में बहुत अधिक खाना या बिल्कुल भी न खाना जैसी अति से बचना चाहिए। खिचड़ी और तले हुए खाद्य पदार्थ शरीर के लिए बहुत हानिकारक हैं, लेकिन आप फल, कंद, शकरकंद और फलों का रस पी सकते हैं। निरंकार उपवास 12 से 16 घंटे तक करना चाहिए, लेकिन 24 घंटे तक उपवास करने से थकान महसूस हो सकती है। इसलिए डॉ. गणेश जाधव ने यह भी बताया है कि यदि संभव हो तो 24 घंटे तक उपवास से बचना चाहिए।
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Tue, Feb 25 , 2025, 08:17 PM