Akshay Shinde: आखिर किस वजह से हुई अक्षय शिंदे की मौत? पोस्टमार्टम रिपोर्ट से बड़ा खुलासा!

Wed, Sep 25 , 2024, 07:48 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

ठाणे: बदलापुर रेप मामले(Badlapur rape case) में स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपी अक्षय शिंदे(Akshay Shinde) का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। इस मामले को लेकर अलग-अलग राय हैं. लेकिन आखिरकार अक्षय की मौत की वजह सामने आ गई है। उनके शव का 7 घंटे तक पोस्टमार्टम की प्रक्रिया चली. अधिक खून बहने से अक्षय की मौत हो गई।

बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले(Badlapur sexual assault case) के आरोपी अक्षय शिंदे के शव को सुबह 8.30 बजे के बीच शव परीक्षण के लिए जेजे अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद घटना की जांच के लिए 8 विशेष पुलिस अधिकारियों की एक टीम को तैनात किया गया। इसके बाद मामले को आगे की जांच के लिए सीआईडी ​​को स्थानांतरित कर दिया गया। एक तरफ सीआईडी ​​की टीम घटनास्थल का निरीक्षण कर रही थी तो दूसरी तरफ शव का पोस्टमार्टम चल रहा था। 

आखिरकार शाम को शव का पोस्टमार्टम पूरा हुआ. रिपोर्ट्स से पता चला है कि अक्षय शिंदे की मौत ज्यादा खून बहने की वजह से हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्षय शिंदे को सिर में एक ही गोली लगी थी. प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट मुंब्रा पुलिस को सौंप दी गई है. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है. मुंबई जेजे अस्पताल के पांच डॉक्टरों के पैनल ने शव परीक्षण किया है.

इस बीच अक्षय शिंदे का एनकाउंटर करने वाले सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने बताया कि अक्षय शिंदे को जेल से ले जाने से लेकर एनकाउंटर तक क्या हुआ. उन्होंने कहा कि, कल शाम करीब साढ़े पांच बजे आरोपी अक्षय शिंदे को तलोजा सेंट्रल जेल से कानूनी तौर पर हिरासत में ले लिया गया. हम अक्षय को ठाणे स्थित ऑफिस ले जा रहे थे. उस समय मेरे साथ सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे, पुलिस कांस्टेबल अभिजीत मोरे, पुलिस कांस्टेबल हरीश तावड़े भी थे.

अक्षय पुलिस का अपमान कर रहा था
जब हमने अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया, तो एक वैन थी जो आरोपी को ले जा रही थी, एपीआई नीलेश मोरे, हवलदार अभिजीत मोरे और हरीश तावड़े आरोपी अक्षय शिंदे के साथ पीछे बैठे थे और मैं ड्राइवर की सीट पर बैठा था.

अचानक, जब पुलिस वैन शील दोघर पहुंची, तो मुझे सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे का फोन आया, जिन्होंने मुझसे कहा, "अक्षय शिंदे जोर-जोर से चिल्ला रहा था." इस वजह से मैंने कार रोक दी और कार में पीछे बिठाया. सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे मेरे सामने वाली सीट पर बैठे, उनके बगल में आरोपी अक्षय शिंदे और फिर पुलिस कांस्टेबल अभिजीत मोरे ने बताया, मैंने अक्षय शिंदे को समझाने की कोशिश की लेकिन वह गाली दे रहा था.

शाम करीब साढ़े छह बजे जब पुलिस वैन मुंबई के व्हाय जंक्शन ब्रिज पर पहुंची तो अक्षय शिंदे ने अचानक बल प्रयोग कर असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर नीलेश मोरे की कमर से सरकारी पिस्तौल छीनने की कोशिश की. "मुझे जाने दो," वह कह रहा था. इस हाथापाई में नीलेश मोरे की पिस्तौल लोड हो गई और एक गोली नीलेश मोरे की बायीं जांघ में जा लगी और नीलेश मोरे गिर पड़े.

अक्षय शिंदे ने नीलेश मोरे की पिस्तौल ले ली और गुस्से से चिल्लाया, "अब मैं किसी को जिंदा नहीं छोड़ूंगा." अक्षय ने अचानक कांस्टेबल हरीश तावड़े की ओर अपनी पिस्तौल उठाई और उसे मारने के इरादे से दो गोलियां चला दीं. लेकिन हमारी किस्मत अच्छी थी कि वो गोलियाँ हमें नहीं लगीं.

आरोपी अक्षय शिंदे का लाल चेहरा और हाव-भाव देखकर हमें पूरा यकीन हो गया कि वह अपने पास मौजूद पिस्तौल से गोली मारकर आत्महत्या करने वाला है. पुलिस अधिकारी संजय शिंदे ने कहा कि मैंने स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए और अपने साथियों की सुरक्षा के लिए अपनी पिस्तौल से अक्षय की ओर एक गोली चलाई.

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