मुंबई: क्या आपने पिंक टैक्स (Pink Tax) का नाम सुना है? अब तक आपने सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, गुड्स एंड सर्विस टैक्स, गिफ्ट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स, वैल्यू एडेड टैक्स जैसे कई नाम सुने होंगे। इनमें से कुछ कर आप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष (directly or indirectly) रूप से भी चुका रहे होंगे। लेकिन इस वक्त हर तरफ पिंक टैक्स (What Is PINK TAX) की चर्चा हो रही है। ये पिंक टैक्स क्या है? उनका विरोध क्यों किया जा रहा है?
किरण मजूमदार के बयान से पिंक टैक्स की चर्चा
दरअसल, हमारे देश में ऐसी टैक्स व्यवस्था है जो लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करती। दूसरे शब्दों में, महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं किया जाता और पुरुषों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। हालाँकि, कई लोग यह दावा कर रहे हैं कि विभिन्न वस्तुओं की कीमतें तय करते समय लिंग के आधार पर भेदभाव किया जाता है। कुछ लोग इसे पिंक टैक्स (Pink Tax Information) भी कहते हैं। बायकॉन की मालिक किरण मजूमदार-शॉ ने कुछ दिन पहले इस टैक्स का जिक्र किया था। इस बीच हर तरफ इस पिंक टैक्स की चर्चा हो रही है। उन्होंने भावना व्यक्त की कि दुनिया भर में पिंक टैक्स बंद होना चाहिए।
पिंक टैक्स क्या है?
पिंक टैक्स शब्द पहली बार 2015 में चर्चा में आया था। न्यूयॉर्क में, महिलाओं और पुरुषों के लिए समान आकार, गुणवत्ता वाली वस्तुओं की तुलना की गई। लेकिन इस सामान की कीमत महिलाओं के लिए अलग और पुरुषों के लिए अलग थी। महिलाओं को बेची जाने वाली समान वस्तु की कीमत पुरुषों की तुलना में अधिक थी। तभी से पिंक टैक्स शब्द प्रयोग में आया। इसके बाद महिलाओं से छुपे तरीके से अधिक रकम वसूले जाने का विरोध होने लगा।
पिंक टैक्स कैसे वसूला जाता है?
महिलाओं के लिए डिज़ाइन की गई विभिन्न वस्तुओं पर पिंक टैक्स लगाया जाता है। दरअसल, पिंक टैक्स की अवधारणा कानूनी दृष्टि से मौजूद नहीं है। मेकअप का सामान, नेल पेंट, लिपस्टिक, ज्वेलरी, सैनिटरी पैड जैसी कई चीजें ऊंचे दामों पर बेची जाती हैं। परफ्यूम, बैग, हेयर ऑयल, रेजर कपड़े का इस्तेमाल महिला और पुरुष दोनों करते हैं। लेकिन महिलाओं की वस्तुओं की कीमत पुरुषों की वस्तुओं की तुलना में अधिक होती है। उदाहरण के लिए, पुरुषों का लिप बाम 70 रुपये में उपलब्ध है। लेकिन ऐसा ही एक लिप बाम महिलाओं को 150 रुपए में बेचा जाता है। पुरुषों के लिए एक स्प्रे की कीमत लगभग 100 रुपये है जबकि महिलाओं के लिए वही गुणवत्ता वाला स्प्रे 115 रुपये में बेचा जाता है। जहां पुरुष बाल कटवाने के लिए 100 रुपये लेते हैं, वहीं महिलाएं 200 रुपये लेती हैं। सौंदर्य प्रसाधनों के मामले में यह अंतर शिद्दत से महसूस किया जाता है।
महिलाओं से अधिक शुल्क क्यों लिया जाता है?
महिलाओं की इस आर्थिक लूट को पिंक टैक्स कहा जाता है। इसका पूरी दुनिया में विरोध हो रहा है। महिलाओं के लिए वस्तुओं का उत्पादन करने में अधिक लागत आती है। इसलिए, महिलाओं के सामान की कीमत अधिक है, उत्पादकों का तर्क है। हालाँकि पुरुषों और महिलाओं के लिए एक ही वस्तु बनाई जाती है, लेकिन उन्हें बनाने में अलग-अलग प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। हालाँकि ये वस्तुएँ एक जैसी दिखती हैं, लेकिन इनके उत्पादन में अधिक लागत आती है। कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ये अंतर कीमत के लिहाज से देखा जा रहा है।
इस बीच पिंक टैक्स और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विभिन्न कंपनियां महिलाओं के लिए उत्पाद ऊंचे दामों पर बेचती हैं। इसे एक मार्केटिंग रणनीति भी कहा जा सकता है। इसीलिए कई जगहों पर इसका विरोध भी हो रहा है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Mon, Apr 08, 2024, 11:01