18 मामलों की जांच अभी लंबित
मुंबई. कोविड काल में हुए भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए मनपा के शीर्ष अधिकारी अपनी मनमानी पर उतर आए हैं. राज्य सरकार ने कोरोना में किए गए भ्रष्टाचार की जांच कैग के साथ ही एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने का आदेश दिया था। मनपा अधिकारी एसीबी को जांच की अनुमति नहीं दे रहे हैं. एसीबी ने अब तक विभिन्न मामलों में एसीबी ने 377 बार जांच की अनुमति मांगी थी, जिसे मनपा अधिकारी ने खारिज कर दिया है.
गौरतलब हो कि पिछले साल मनपा ने राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा सहायक मनपा आयुक्त मनीष राधाकृष्ण वालुंज (Manish Radhakrishna Walunj) के खिलाफ जांच करने की अनुमति को खारिज कर दिया था, वालुंज पर कुर्ला एल वार्ड में सहायक आयुक्त में अपने पिता राधाकृष्ण वालुंज से जुड़ी एक कंपनी को कोविड -19 के दौरान एक अनुबंध की मंजूरी दी गई थी.सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आया कि मनपाने 2018 से एसीबी के ऐसे 395 अनुरोधों में से किसी को भी मंजूरी नहीं दी है, एसीबी के लिए मनपा या किसी से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य हो गया था. सरकारी विभाग के किसी अधिकारी की जांच से पहले विभाग की अनुमति आवश्यक होती है. कोविड काल से पहले और बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो के पास भ्रष्टाचार से जुड़े कुल 395 शिकायतें प्राप्त हुई थी. इनमें से एसीबी ने 377 मामलों में जांच की अनुमति मनपा के शीर्ष अधिकारी से मांगी थी जिसे खारिज कर दिया गया. शेष 18 मामलों पर निर्णय होना बाकी है।
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Mon, Jan 23 , 2023, 08:06 AM