हैदराबाद। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) ने शुक्रवार को भारत के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) (Union Public Service Commission (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोगों (पीएससी) की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए सिविल सेवा भर्ती प्रकिया में ईमानदारी, पारदर्शिता और तकनीकी तैयारी पर अधिक जोर देने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने यहां रामोजी फिल्म सिटी में लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि एक ऐसे मंच में भाग लेना सौभाग्य की बात है जो देश भर से यूपीएससी और राज्य लोक सेवा आयोगों के प्रमुखों को एक साथ लाता है।
राष्ट्रपति ने भारत में लोक सेवा आयोगों के लंबे और प्रतिष्ठित इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय लोक सेवा आयोग की स्थापना एक अक्टूबर, 1926 को हुई थी और बाद में भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत संघीय और प्रांतीय लोक सेवा आयोगों का प्रावधान किया गया। 26 जनवरी, 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद, संघ और राज्य लोक सेवा आयोगों ने अपनी वर्तमान संवैधानिक भूमिकाएँ ग्रहण कीं।
केन्द्रीय और राज्य लोक सेवा आयोगों के योगदान का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लोक सेवा आयोगों ने सरकारी प्रशासन में समानता, निष्पक्षता और व्यावसायिकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन संस्थानों के माध्यम से चयनित सिविल सेवाएँ भारत के आर्थिक विकास, राजनीतिक स्थिरता और प्रशासन के लिए बहुत अहम रही हैं, जिससे संघ लोक सेवा आयोग देश के सबसे भरोसेमंद संस्थानों में से एक बन गया है।
श्रीमती मुर्मु ने इस बात पर जोर दिया कि कौशल की कमी को प्रशिक्षण के माध्यम से दूर किया जा सकता है, लेकिन सत्यनिष्ठा की कमी ऐसी चुनौतियाँ पैदा करती है जिन पर काबू पाना मुश्किल है तो ऐसे में भर्ती में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोक सेवा आयोगों को उम्मीदवारों के बीच नैतिक अभिविन्यास और संवेदनशीलता का आकलन करने के लिए बेहतर प्रक्रिया विकसित करनी चाहिए, विशेष रूप से समाज के हाशिए पर रह रहे और कमजोर वर्गों के प्रति।
राष्ट्रपति ने भविष्य की चुनौतियों पर जोर देते हुए लोक सेवा आयोगों से उभरते तकनीकी मुद्दों का अनुमान लगाने, पारदर्शिता को मजबूत करने और भर्ती प्रक्रियाओं में दक्षता बढ़ाने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन सर्वोत्तम विधियों , विशेष रूप से प्रौद्योगिकी अपनाने, कानूनी ढांचे और प्रक्रिया सुधारों को साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।
उन्होंने भारत के तेजी से आर्थिक विकास और आने वाले दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की उसकी महत्वाकांक्षा का जिक्र करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग भविष्य के लिए तैयार ऐसी सिविल सेवा का पोषण करके राष्ट्र निर्माण में योगदान देना जारी रखेंगे जो स्थिरता को रचनात्मकता के साथ और निरंतरता को आधुनिकीकरण के साथ जोड़ती है।
श्रीमती मुर्मु ने संघ और राज्य लाेक सेवा आयोगों को उनके प्रयासों में लगातार सफलता मिलने की शुभकामनाएं दीं।



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