Beard Ban Issue: अमेरिकी सेना में दाढ़ी पर प्रतिबंध मामले में भारत तुरंत कूटनीतिक हस्तक्षेप करें: प्रो.ख्याला!

Wed, Oct 08 , 2025, 06:09 PM

Source : Uni India

अमृतसर। पंजाब भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party ) के प्रवक्ता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला (Prof. Sarchand Singh Khyala) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (Minister Dr. S. Jaishankar) से अपील की है कि वे अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा दाढ़ी या चेहरे के बाल रखने संबंधी धार्मिक छूटें रद्द करने के सख्त फैसले से प्रभावित सिख सैनिकों की पीड़ा को दूर करने के लिए तुरंत कूटनीतिक हस्तक्षेप करें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अमेरिका के साथ सरकारी और निजी प्रभाव का प्रयोग करते हुए वहां के सिख सैनिकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

प्रो. ख्याला ने पत्र लिखकर बताया कि अमेरिकी युद्ध विभाग द्वारा 30 सितंबर 2025 को पेंटागन की वरिष्ठ नेतृत्व, लड़ाकू कमांडरों और युद्ध एजेंसियों के निदेशकों को जारी नए निर्देशों के अनुसार, विभाग अब 2010 से पहले के मानकों पर लौट रहा है। इसके तहत दाढ़ी या चेहरे के बाल रखने के लिए सामान्य धार्मिक छूटें अब सेना में स्वीकृत नहीं की जायेंगी। मेमोरेंडम के अनुसार, छूट केवल विशेष मामलों में ही दी जायेगी, जिनकी व्यक्तिगत जांच सेना में धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित विभागीय निर्देशों के तहत की जायेगी। धार्मिक छूट के लिए आवेदन के साथ मान्यता प्राप्त धार्मिक प्राधिकरण से विश्वास का प्रमाण पत्र लगाना आवश्यक होगा, और यह छूट केवल उन्हीं पदों के लिए मान्य होगी, जहां रासायनिक हमलों या अग्निशमन का जोखिम कम हो।
प्रो. ख्याला ने कहा कि यह नया निर्णय धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर सिख सैनिकों के लिए न केवल चिंताजनक है बल्कि उनकी धार्मिक पहचान पर सीधा हमला है, क्योंकि सिख धर्म में दाढ़ी और केश केवल व्यक्तिगत पसंद नहीं बल्कि धार्मिक मर्यादा और पहचान का अभिन्न अंग हैं। किसी सैनिक को अपनी धार्मिक पहचान त्यागने के लिए मजबूर करना मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन है।


उन्होंने याद दिलाया कि 2017 में सिख सैनिकों और संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग ने सिखों को दाढ़ी और पगड़ी के साथ सेना में बिना किसी रोक-टोक सेवा करने की अनुमति दी थी। अब 2025 में इस निर्णय को वापस लेना न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है, बल्कि सिखों के ऐतिहासिक योगदान का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी आदेश से सिख धर्म की पहचान को न दबाया जा सकता है और न ही घटाया जा सकता है। दुनिया भर के सिख अपनी पहचान और विश्वास की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज उठा रहे हैं, क्योंकि दाढ़ी और पगड़ी केवल प्रतीक नहीं, बल्कि सिख अस्तित्व की मूल पहचान हैं। प्रो ख्याला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर से अमेरिकी सरकार से बातचीत कर सिख सैनिकों के धार्मिक अधिकार बचाने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की।

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