Shah Ending Naxalism: देश अगले वर्ष 31 मार्च तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा : अमित शाह

Sun, Sep 28 , 2025, 09:24 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने रविवार को कहा कि देश 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा।
श्री शाह ने विज्ञान भवन में भारत मंथन 2025 के एक दिवसीय सम्मेलन में ' नक्सल मुक्त भारत :प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लाल आंतक की समाप्ति' विषय पर अपने संबोधन में यह बात कही।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान (SPMRF) के संयोजन में आयोजित सम्मेलन में श्री शाह ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक देश हथियारबंद नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने इसके साथ यह सवाल भी उठाया कि इस देश में नक्सवादी समस्या क्यों पनपी, क्यों बढ़ी, क्यों विकसित हुई... इसका वैचारिक पोषण किसने किया।
उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई तब तक समाप्त नहीं होगी जब तक भारत का समाज इस सिद्धांत, नक्सलवाद के वैचारिक पोषण, कानूनी समर्थन और वित्तीय पोषण करने वाले समाज में बैठे लोगों की पहचान नहीं कर लेते। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने नक्सलियों के साथ 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते कर 10,500 युवाओं को आत्मसर्पण कराकर समाज की मुख्यधारा लाने का काम किया है।

श्री शाह ने कहा कि इसके साथ ही भाजपा सरकार (BJP government) ने उत्तर-पूर्व की दूरी कम करने के लिए रेलवे और जलमार्ग से जोड़ने के साथ दिलों की दूरी भी दूर करने का काम हमारी सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि आज उत्तर-पूर्व विकास और शांति के राह पर बढ़ रहा है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त कर उसे विकास के रास्ते पर लाने का काम हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री ने नक्सलवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा " मोदी सरकार ने संवाद, सुरक्षा और समन्वय... तीनों पहलू पर काम करने की शुरुआत की। आज मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 31 मार्च 2026 तक इस देश से हथियारबंद नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा।"

श्री शाह ने नक्सलियों से आह्वान करते हुए कहा, "हथियार छोड़ दीजिए, हम किसी को भी मारना नहीं चाहते हैं। मगर हथियार लेकर निर्दोष आदिवासियों को मारने वालों को हम नहीं बख्शेंगे क्योंकि सरकार का धर्म इनको बचाना है।"  शाह ने कहा कि देश में 2014 में 126 नक्सल प्रभावित जिले थे, जो अब घटकर सिर्फ 18 बचे हैं। अत्यधिक प्रभावित जिलों की संख्या 36 से घटकर सिर्फ छह रह गयी है। इससे यह साबित होता है कि नक्सलवाद का क्षेत्र सिकुड़ गया है। शाह ने कहा कि नक्सली पहले पशुपति से तिरूपति के बीच के लाल गलियारे की बात करते थे, जो पूरे देश के 70 प्रतिशत हिस्से को प्रभावित करता था। नक्सलवाद के दंश से देश की 10 प्रतिशत आबादी प्रभावित रही है।

श्री शाह ने कहा कि देश में नक्सलवाद के खात्मे के लिए हथियार और गोला बारूद के आपूर्ति पर नकेल कसने के साथ ही वित्त पोषण करने वालों पर सरकारी एजेंसी एनआई और ईडी का शिकंजा कसा गया। उन्होंने कहा कि अर्बन नक्सलवादी इसे वैधानिक आधार देने के लिए मीडिया में लेखों के माध्यम से धारणा (नैरेटिव) गढ़ने का काम करते थे। श्री शाह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई मारने वाला अपने को बेचारा कहे। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने मीडिया की लड़ाई भी लड़ी है। देश में व्यवस्थित सुरक्षा के विकास के साथ नक्सलियों के खात्मे के लिए टारगेटेड ऑपरेशन 'आक्टोपस' और 'डबल बुल' जैसे अभियान चलाए। सभी सुरक्षा एजेंसियों को एकीकृत प्रशिक्षण प्रदान करके अभियान को अंजाम दिया गया। इसके लिए तकनीक का सहारा लिया गया और सोशल मीडिया पर नजर रखकर छिपे हुए नक्सल समर्थकों को खोज निकाला गया।

श्री शाह कहा कि नक्सलियों के खिलाफ 2019 के बाद राज्य के आधारभूत ढांचों का विकास, आधुनिक सुरक्षा प्रणाली के विकास के साथ ही संसाधनों के लिए बजट का आवंटन किया गया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा खामियों को दूर करने के साथ ही सामाजिक कमियों को समाप्त करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी बुनियादी क्षमता का विकास किया गया है। उन्होंने बताया कि 2024 में 270 नक्सलियों को निष्क्रिय किया गया, जबकि इसी अवधि में 290 नक्सलियों को मार गिराने के साथ 1090 को गिरफ्तार किया गया।

श्री शाह ने कहा कि एक जनवरी 2025 से लेकर अब तक 270 नक्सलियों का खात्मा करने के साथ 680 को गिरफ्तार किया। जबकि इसी अवधि 1225 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किए। शाह ने कहा कि नक्सलियों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ने के लिए एनआईए ईडी और राज्य सरकार ने करोड़ों की संपत्ति जब्त की है। उन्होंने कहा कि वामपंथी नक्सली समस्या के लिए असंतुलित विकास को जिम्मेदार बताते थे, लेकिन देश में वामपंथी उग्रवाद क्षेत्र के बाहर 56 जिले ऐसे थे जो नक्सल प्रभावित जिलों से भी पिछड़े थे लेकिन वहां के लोगों ने कभी भी हथियार नहीं उठाया।

उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के चलते इन क्षेत्रों का विकास नहीं हुआ, वे आदिवासियों को गुमराह करते रहे ताकि उनका वर्चस्व कायम रहे। हमारे देश के संविधान में आदिवासियों के लिए अलग बजट है और विकास योजनाओं का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बीजापुर और सुकमा में स्कूल और आधारभूत सुविधाएं नहीं पहुंचा है तो इसके लिए कौन दोषी है। श्री शाह ने कहा, "मैं कहता हूं विकास नहीं पहुंचने के लिए नक्सली और नक्सवादी सोच जिम्मेदार है। क्योंकि ये इसे रोक कर बैठे हुए थे।"

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