ED-related review petitions: सुप्रीम कोर्ट ईडी संबंधित पुनर्विचार याचिकाओं पर छह अगस्त को करेगा सुनवाई!

Fri, Aug 01 , 2025, 07:23 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्तियों के मामले में अपने एक फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं की स्वीकार्यता के मुद्दे पर छह अगस्त को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि ईडी ने तीन प्रारंभिक मुद्दे प्रस्तावित किए हैं जो मुख्य रूप से पुनर्विचार याचिकाओं की स्वीकार्यता के प्रश्न से संबंधित हैं। शीर्ष अदालत का ये फैसला 2022 का है जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी की गिरफ्तारी, संपत्ति कुर्क करने और तलाशी व जब्ती की शक्तियों को बरकरार रखा गया था।

पीठ ने कहा, "चूंकि प्रस्तावित मुद्दे पुनर्विचार कार्यवाही में उठ रहे हैं इसलिए हम पहले पुनर्विचार याचिकाओं की स्वीकार्यता के मुद्दे पर पक्षकारों की सुनवाई करने का प्रस्ताव करते हैं‌। इसके बाद बाद पुनर्विचार याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए जाने वाले प्रस्तावित प्रश्नों पर सुनवाई करेंगे।" पीठ ने कहा कि यदि पुनर्विचार याचिकाएं विचारणीय लगती हैं तो अंततः विचार के लिए उठने वाले प्रश्नों का निर्धारण भी न्यायालय द्वारा ही किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने सात मई को केंद्र सरकार और अन्य को 2022 के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करते समय तय किए जाने वाले मुद्दों का पुनः मसौदा तैयार करने का निर्देश दिया था। केंद्र ने तर्क दिया था कि पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय की उस पीठ द्वारा उठाए गए दो विशिष्ट मुद्दों से आगे नहीं बढ़ सकती जिसने अगस्त 2022 में याचिकाओं पर नोटिस जारी किए थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अगस्त 2022 में पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करने वाली पीठ ने केवल दो पहलुओं पर नोटिस जारी किए थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने, उनकी संपत्ति कुर्क करने और पीएमएलए के तहत तलाशी और जब्ती करने की ईडी की शक्तियों को जुलाई 2022 में बरकरार रखा था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन (दोनों अब सेवानिवृत्त) की पीठ ने नवंबर 2017 में पीएमएलए की धारा 45(1) को असंवैधानिक ठहराया था क्योंकि यह किसी अभियुक्त को जमानत देने के लिए दो अतिरिक्त शर्तें लगाती है और कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है।

विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में 27 जुलाई, 2022 को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इसे खारिज कर दिया। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अन्य की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त, 2022 को अपने 27 जुलाई, 2022 के फैसले की समीक्षा करने पर सहमति व्यक्त की थी।

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