वाशिंगटन: विशेषज्ञो का कहना है कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हाल ही में बढ़ा तनाव (tension between Thailand and Cambodia) महज दुर्घटना नहीं है बल्कि यह राजनीतिक गलतियों और राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों की “सुप्त आग(dormant fire)” को फिर से भड़काने का परिणाम है। मलेशिया में कुआलालंपुर स्थित मलाया विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय संबध एवं मानवाधिकार मामलों (Human Rights Affairs) के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ खू यिंग हूई ने संवाद एजेंसी स्पुतनिक को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “ताज़ा झड़पें लंबे समय से चले आ रहे तनाव और एक नई राजनीतिक चिंगारी का नतीजा हैं।
थाईलैंड में शिनावात्रा और कंबोडिया (Shinawatras in Thailand) में हुन परिवारो जैसे दो शक्तिशाली पक्षों से जुड़ा एक राजनीतिक नाटक इस मामले को और तूल दे रहा है। कुछ समय पहले थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा और कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच एक लीक हुए विवादास्पद फ़ोन कॉल ने थाईलैंड में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी। इसने थाईलैंड सरकार को शर्मिंदा किया और दोनों पक्षों में राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काया”।
प्रोफ़ेसर ने कहा कि वर्तमान गोलीबारी ने “ज़मीनी स्तर पर संघर्ष को फिर से ज़िंदा कर दिया” लेकिन राजनीतिक घटना ने “इसे और तेज़ कर दिया। यह सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं थी। यह एक सुप्त आग थी जिसे राजनीतिक ग़लतियों और राष्ट्रवादी अंतर्धाराओं ने फिर से भड़का दिया।” डॉ. हूई ने बताया कि इस तनाव में वृद्धि का दोनों देशों के लोगों, ख़ासकर सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वालों पर गहरा असर पड़ा है क्योंकि वहां हज़ारों लोग पहले से ही विस्थापित हो चुके हैं।
विशेषज्ञ ने कहा “भौतिक परिणामों से परे दोनों देशों के समाजों के बीच अविश्वास गहराने का वास्तविक ख़तरा है। ऐसा होगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि राजनीतिक नेता और मीडिया इस संघर्ष को किस तरह पेश करते हैं। अगर पिछले टकरावों की ही तरह राष्ट्रवादी बयानबाज़ी तेज़ होती है तब यह आसानी से सामाजिक तनाव में बदल सकता है। हमने पहले भी देखा है कि ग़लत सूचनाएँ और भावनात्मक रूप से उत्तेजित आख्यान कितनी जल्दी जनभावनाओं को भड़का सकते हैं।”
गौरतलब है कि एक जुलाई को थाईलैंड के संवैधानिक न्यायालय ने सुश्री शिनावात्रा के खिलाफ संवैधानिक नैतिकता के कथित उल्लंघन के मामले को विचारार्थ स्वीकार कर लिया और उन्हें सरकार प्रमुख के रूप में उनके कर्तव्यों से अस्थायी रूप से मुक्त कर दिया। यह घटना तब हुई जब मीडिया ने सुश्री शिनावात्रा और श्री सेन के बीच लीक हुई फ़ोन कॉल प्रकाशित की जिसमें सुश्री शिनावात्रा ने 28 मई को एक विवादित तटस्थ क्षेत्र में थाईलैंड और कंबोडिया के सैन्य कर्मियों के बीच हुई झड़प के बाद उपजे तनाव को कम करने का प्रयास किया था।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा संघर्ष 24 जुलाई को सशस्त्र संघर्ष में बदल गया। दोनों पक्षों के लोग मारे गए और कई घायल हुए जिनमें नागरिक भी शामिल थे। इस बीच शुक्रवार सुबह थाईलैंड की सेना ने कहा कि दोनों देशाे के सैनिकों के बीच संघर्ष नए सिरे से तीव्र हो गया है और कंबोडियाई पक्ष ने कथित तौर पर एक बार फिर थाई क्षेत्र में नागरिक ठिकानों पर हमला करने के लिए बीएम-21 ग्रैड मल्टीपल लॉन्च रॉकेट प्रणाली का इस्तेमाल किया। सेना ने कहा कि थाई सैनिक सामरिक स्थिति के आधार पर उचित जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। इस बीच थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता निकोर्न्डेज बालनकुरा ने कल कहा कि थाईलैंड कंबोडिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने में मलेशिया की मध्यस्थता स्वीकार करने के लिए तैयार है।
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Sat, Jul 26 , 2025, 12:30 PM