नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar termed) ने जातीय जनगणना कराने के फैसले को क्रांतिकारी करार देते हुए कहा कि राजनीतिक और भौगोलिक परिवर्तन के उद्देश्य से किए गए सुनियोजित जनसांख्यिकीय परिवर्तन सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन बिगाड़ते हैं।
धनखड़ ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुंबई मे अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) के 65वें और 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जबरन धर्मांतरण द्वारा आस्था को हथियार बनाने से सामाजिक सद्भाव नष्ट होता है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित जनगणना समतामूलक विकास की दिशा में एक मील का पत्थर है। धनखड़ ने कहा कि कुछ भौगोलिक क्षेत्रों की संरचना को बदलने के उद्देश्य से सुनियोजित और सुव्यवस्थित परिवर्तन किए जा रहे हैं। जनसांख्यिकी में ये सुनियोजित परिवर्तन अक्सर राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्यों हैं, जो निश्चित रूप से राष्ट्र के लिए अच्छे नहीं हैं। ये सामाजिक और सांस्कृतिक संतुलन को बिगाड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए ऐसी खतरनाक प्रवृत्तियों पर सतर्क निगरानी और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। ये सबसे चिंताजनक प्रवृत्तियाँ हैं। उप राष्ट्रपति ने कहा कि शांति लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। शांति शक्ति की स्थिति से ही प्राप्त होती है। लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है और समृद्ध हो सकता है, जब शक्ति, प्रभावी सुरक्षा, आर्थिक लचीलापन, आंतरिक सद्भाव से शांति प्राप्त हो।
उन्होंने कहा, "शांति तभी प्राप्त की जा सकती है, जब हम युद्ध के लिए सदैव तैयार रहें। भारत ने वैश्विक संदेश दिया है। अब हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम इसे समाप्त करेंगे और इसके स्रोत को नष्ट करेंगे। शांति का अर्थ संघर्ष का अभाव नहीं है।" उपराष्ट्रपति ने कहां की सरकार का जातिगत जनगणना कराने का निर्णय क्रांतिकारी साबित होगा। यह समानता लाने के लिए समान रूप से आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगा और सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। इससे लक्षित विकास के लिए दिशा मिलेगी और विकास उन क्षेत्रों में पहुँचेगा जहाँ इसकी आवश्यकता है।
उन्होंने भारत के सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डालने वाली गहरी चिंताजनक प्रवृत्तियों के बारे में चेतावनी देते हुए कहा, "भारत जनसांख्यिकीय बदलावों के संबंध में चिंताजनक परिस्थितियों का सामना कर रहा है, जो अनियंत्रित अवैध प्रवासियों है।" सुनियोजित जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब जनसांख्यिकीय संतुलन को जैविक विकास से नहीं बल्कि भयावह सुनियोजित ढंग से हेरफेर किया जाता है, तो यह जनसांख्यिकीय आक्रमण का प्रश्न बन जाता है। भारत ने इसे झेला है।
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Wed, May 28 , 2025, 09:56 PM