आतंकवाद कतई बर्दाश्त नहीं, कश्मीर पर किसी की मध्यस्थता की जरूरत नहीं: जयशंकर!

Thu, May 22 , 2025, 06:30 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर (Subrahmanyam Jaishankar) ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की भारत की नीति को दोहराते हुए जोर देकर कहा है कि इसे जम्मू कश्मीर के साथ जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए,जो भारत तथा पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तरह की मध्यस्थता की कोई जगह नहीं है।

नीदरलैंड की यात्रा पर गये श्री जयशंकर ने ‘दे वोक्सक्रांत’ पत्रिका को दिये साक्षात्कार में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय (international community) को आतंकवाद के खिलाफ भारतीय कार्रवाई की एकजुट होकर सराहना करनी चाहिए। आतंकवाद को जम्मू कश्मीर मुद्दे से जोड़ने से संबंधित प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत के लिए आतंकवाद इससे ‘एकदम अलग मुद्दा’ है। यह अंतर्राष्ट्रीय अपराध है जिसे किसी भी तरीके से माफ नहीं किया जा सकता या उचित नहीं ठहराया जा सकता।

कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मध्यस्थता की पेशकश से जुड़े सवाल पर श्री जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा , इसमें मध्यस्थता की कोई गुंजाईश नहीं है यह दोनों देशों के बीच एक द्विपक्षीयमुद्दा है। विदेश मंत्री ने कहा ,“ जहां तक ​​जम्मू-कश्मीर का सवाल है, यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि 1947 में पाकिस्तान के भारत से अलग होने पर यह भारत में शामिल हो गया। हमारा रुख यह है कि अवैध रूप से कब्जा करने वालों को अवैध कब्जे वाले हिस्सों को सही मालिक को वापस करना चाहिए, और सही मालिक भारत है।”

विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादियों ने इस हमले से जम्मू-कश्मीर में जीवंत पर्यटन उद्योग को निशाना बनाया। आतंकवादी और उनके समर्थक अपने बहुत सीमित और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए कश्मीर में चीजों को नष्ट करने पर तुले हैं। उन्होंने जानबूझकर हमले को धार्मिक रंग दिया । दुनिया को इस तरह की हरकतों को स्वीकार नहीं करना चाहिए।

श्री जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद का केन्द्र करार देने और आतंकवादियों को पाकिस्तान सरकार से समर्थन मिलने के भारत के दावे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह एक बार फिर इस बात को दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा , “ मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूँ, मैं यह कह रहा हूँ। मान लीजिए कि एम्स्टर्डम जैसे शहर के बीच में बड़े सैन्य केन्द्र हैं जहाँ दसियों हज़ार लोग सैन्य प्रशिक्षण के लिए इकट्ठा होते हैं, तो क्या आप कहेंगे कि आपकी सरकार को इसके बारे में कुछ नहीं पता? बिल्कुल नहीं।”

उन्होंने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि पाकिस्तान को यह जानकारी नहीं हैं कि उसके यहां क्या हो रहा है। पाकिस्तान की सरकार और सेना दोनों को आतंकवादियों की गतिविधियों की जानकारी है। उन्होंने कहा , “ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में शामिल सबसे कुख्यात आतंकवादी पाकिस्तान में हैं। वे बड़े शहरों में, दिनदहाड़े गतिविधि करते हैं। उनके पते सार्वजनिक हैं। उनकी गतिविधियाँ ज्ञात हैं। उनके आपसी संपर्क ज्ञात हैं। इसलिए आइए यह दिखावा न करें कि पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है। सरकार इसमें शामिल है। सेना इसमें पूरी तरह से शामिल है।”

पाकिस्तान के साथ संघर्ष के स्थायी समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि यदि आतंकवादी हमले जारी रहते हैं तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा , “

हम आतंकवाद का हमेशा के लिए अंत चाहते हैं। अभी के लिए एक-दूसरे के खिलाफ़ सैन्य कार्रवाई रूक गयी हैं लेकिन अगर पाकिस्तान से आतंकवादी हमले (terrorist attacks) जारी रहे, तो इसके परिणाम उसे भुगतने होंगे। पाकिस्तानियों को यह अच्छी तरह से समझना चाहिए।”

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