Space Cooperation: मोदी ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का किया आह्वान!

Wed, May 07 , 2025, 06:49 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने दुनिया के बेहतर भविष्य और विज्ञान की प्रगति के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International cooperation) का आह्वान करते हुये बुधवार को कहा, “ हमने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को स्टार्टअप, उद्यमियों और युवा प्रतिभाओं के लिये खोल दिया है। ”

प्रधानमंत्री ने बताया कि अगले कुछ ही सप्ताह में अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा के साथ संयुक्त मिशन के तहत एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए यात्रा करने जा रहा है।  मोदी ने अंतरिक्ष अन्वेषण पर वैश्विक सम्मेलन-2025 को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति का उल्लेख करते हुये कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा का अर्थ दूसरों से प्रतिस्पर्धा करना नहीं है। भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के साथ-साथ सशक्तिकरण का भी विषय है। भारत साथ मिलकर ऊंचाइयों को छूना चाहता है।

उन्होंने कहा, “ हम मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष की खोज करने के लिए एकसाथ मिलकर लक्ष्य साझा करते हैं। हमने दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक उपग्रह लॉन्च किया। अब, हमारी जी-20 की अध्यक्षता के दौरान घोषित जी-20 उपग्रह मिशन ग्लोबल साउथ (विकाशील देशों) के लिए एक उपहार होगा। ” प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत एक साथ सपने देखने, एक साथ निर्माण करने और एक साथ सितारों तक पहुंचने के लिए खड़ा है। आइए हम एक साथ मिलकर अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया अध्याय लिखें, जो विज्ञान और बेहतर कल के लिए साझा सपनों द्वारा निर्देशित हो।” इस सम्मेलन में देश-विदेश के वैज्ञानिक, अन्वेषक, अंतरिक्ष यात्री और विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत का अंतरिक्ष दृष्टिकोण 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन ज्ञान पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। हम न केवल अपने विकास के लिए प्रयास करते हैं, बल्कि वैश्विक ज्ञान को समृद्ध करने, सामान्य चुनौतियों का समाधान करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का प्रयास करते हैं। ”  मोदी ने कहा कि वर्ष 1963 में एक छोटे रॉकेट को प्रक्षेपित करने से लेकर, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने तक, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत यात्रा उल्लेखनीय रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ वर्ष 2035 तक, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन अनुसंधान और वैश्विक सहयोग में नयी सीमायें खोलेगा। वर्ष 2040 तक, एक भारतीय के पैरों के निशान चंद्रमा पर होंगे। मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं। ”


उन्होंने कहा कि भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को स्टार्टअप, उद्यमियों और युवा प्रतिभाओं के लिए खोल दिया है। देश में आज 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप हैं। वे उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रणोदन प्रणाली, इमेजिंग और बहुत कुछ में अत्याधुनिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के कई अंतरिक्ष मिशनों का नेतृत्व महिला वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत वैज्ञानिक अन्वेषण (India Scientific Exploration) की लगातार नयी-नयी सीमायें तय करते हुए नये आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “ हमारा पहला मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन, ‘गगनयान’,(Gaganyaan) हमारे देश की बढ़ती आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है। ”

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