भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ अंतिम चरण में: जितेन्द्र सिंह

Tue, May 06 , 2025, 09:53 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’(space mission Gaganyaan) कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। देश का पहला मानव अंतरिक्ष यान 2027 की पहली तिमाही मे अभियान पर रवाना होगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) ने मंगलवार को यहां मीडिया से बातचीत करते हुए इस मिशन की वर्तमान स्थिति, तकनीकी प्रगति तथा भारत के लागत प्रभावी अंतरिक्ष कार्यक्रम से होने वाले व्यापक आर्थिक लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

इसरो तथा अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन (Dr. V. Narayanan) भी उनके साथ थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि टीवी-डी1 मिशन तथा इस वर्ष की शुरुआत में पहले मानवरहित परीक्षण यान मिशन के सफल समापन ने आगामी परीक्षण कार्यक्रम के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। दूसरा टेस्ट व्हीकल मिशन 2025 के अंत में निर्धारित किया गया है, उसके बाद गगनयान की बिना चालक वाली कक्षीय उड़ानें होंगी। ये मील के पत्थर 2027 में भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के साथ समाप्त होंगे, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भारतीय धरती से भारतीय रॉकेट पर सवार होकर कक्षा में भेजा जाएगा।

इसे ‘ऐतिहासिक मिशन’ कहते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि गगनयान कार्यक्रम वैज्ञानिक उपलब्धियों से कहीं आगे है। उन्होंने कहा,“यह स्वदेशी तकनीक, राजकोषीय विवेक और दूरदर्शी राजनीतिक नेतृत्व पर आधारित वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत के उदय का प्रतिनिधित्व करता है।”

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष में भारत की दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है, जिसमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है।

मानव-रेटेड वाहन, क्रू एस्केप सिस्टम और क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल सभी परीक्षण और एकीकरण के अंतिम चरण से गुजर रहे हैं। उन्होंने पुष्टि की कि इस वर्ष के अंत में मानव रहित कक्षीय गगनयान मिशन लॉन्च के लिए तैयार है, भारतीय नौसेना के साथ रिकवरी ट्रायल पहले ही किए जा चुके हैं और अधिक समुद्री रिकवरी सिमुलेशन की योजना बनाई गई है। अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण भी लगातार आगे बढ़ रहा है।

मीडिया को यह भी बताया गया कि अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुने गए चार भारतीय वायु सेना के पायलटों ने रूस में प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और भारत में मिशन-विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। भारत के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में उनके स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक फिटनेस और सिमुलेशन-आधारित परिचालन तत्परता का लगातार मूल्यांकन किया जा रहा है।

इन तकनीकी प्रगति को साझा करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने मिशन की लागत-दक्षता पर जोर दिया। उन्होंने कहा,“गगनयान परियोजना पर होने वाला खर्च अन्य देशों द्वारा किए गए समान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों की तुलना में न्यूनतम है।” उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार और आर्थिक प्रोत्साहन दोनों के संदर्भ में मिशन का रिटर्न इसमें शामिल लागतों से कहीं अधिक है।

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