Bank book scam: अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम की किताब की खरीद में बैंक ने किया बड़ा घोटाला: कांग्रेस!

Tue, May 06 , 2025, 09:07 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक चर्चित अर्थशास्त्री की किताब की दो लाख प्रतियां खरीदने पर करोड़ों रुपए खर्च करने को एक बड़ा घोटाला (A big scam) बताते हुए वित्त मंत्री से सफाई मांगी है। कांग्रेस सोशल मीडिया एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Srinet) ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्व आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम (KV Subramaniam) की पुस्तक खरीदने में सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ने साढे सात करोड़ रुपए खर्च किए और उन्हें अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) में भारत के कार्यकारी निदेशक से हटा दिया है जबकि छह माह का उनका कार्यकाल अभी बाकी था। आईएमएफ की पाकिस्तान को कर्ज देने को लेकर नौ मई को एक बैठक होनी है और उससे पहले श्री सुब्रमण्यम को हटाकर सरकार ने सबको चौंका दिया है। कांग्रेस पहले ही सरकार से आग्रह कर चुकी है कि पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए होने वाली आईएमएफ की बैठक में भारत को इसका कड़ा विरोध करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सच यह है कि सरकार ने यह निर्णय जबरदस्त घपलेबाजी के चलते लिया है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चला है कि बैंक ने श्री सुब्रमण्यन की लिखी पुस्तक की दो लाख प्रतियां खरीदने का आर्डर दिया है और इस पर साढे सात करोड़ रुपए खर्च होने हैं। इसके लिए 3.5 करोड़ रुपए का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। इनमें 1,89,450 प्रतियां पेपर बैक और 10,422 हार्ड कवर की प्रतियां शामिल थीं। इन किताबों को बैंक के क्षेत्रीय और आंचलिक कार्यालयों, खाताधारकों, स्कूल और कॉलेजों में बांटा जाना था। बैंक के 18 जोनल ऑफिस हैं और हर ऑफिस को 10,525 प्रतियां दी जानी थीं।

श्रीमती श्रीनेत ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस खुलासे के कारण मोदी सरकार को मजबूरन श्री सुब्रमण्यन को उनके पद से हटाना पड़ा है। यह वही सुब्रमण्यम हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहते हुए 2019-20 के आर्थिक सर्वे में 'थालीनॉमिक्स' की चर्चा की थी। यह अलग बात है कि एक साधारण वेज थाली की कीमत सिर्फ एक साल में 52 प्रतिशत बढ़ गई है। उन्हें सुब्रमण्यन की किताब की दो लाख प्रतियां खरीदने का ऐसे वक्त पर आर्डर दिया गया है, जब देश बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने इस बारे में सरकार, सरकारी बैंक और वित्त मंत्रालय से सवाल करते हुए कहा है कि उसे बताना चाहिए कि उसने श्री सुब्रमण्यन की किताब की दो लाख प्रतियां खरीदने में साढे सात करोड़ रुपए खर्च करने के लिए अपने बोर्ड या वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग से अनुमति ली थी। सवाल यह भी है कि भाजपा ने प्रधानमंत्री की छवि सुधारने के लिए यह पैसा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को नहीं दिया था। यह पैसा जनता का था तो इसका दुरुपयोग क्यों किया गया और क्या खाताधारक को इस बारे में कोई जानकारी दी गई।

उन्होंने इसे हितों का टकराव बताया और कहा कि वित्त मंत्रालय को इसकी जांच करनी चाहिए है कि यह कैसे हुआ। बैंक के महाप्रबंधक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुश्री मणिमेखलाई ने क्या अपने सेवा विस्तार की पैरवी के लिए यह अपरोक्ष रिश्वत दी। उनका कार्यकाल जून में समाप्त हो रहा है। उनका कहना था कि यह गंभीर मामला है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस लेन-देन पर सफाई देनी चाहिए। बैंक एसोसिएशन ने भी इस फ़िज़ूलख़र्ची और पैसे की बर्बादी की जांच की मांग की है।

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