नैनीताल। नैनीताल नाबालिग दुष्कर्म (Minor rape) के आरोपी मो. उस्मान एवं रुकुट वासियों को उच्च न्यायालय (High Court) से फ़िलहाल राहत मिल गई है। उनके अतिक्रमण के खिलाफ फिलहाल तोड़ने की कार्रवाई नहीं हो पायेगी। नगर पालिका द्वारा यौन शोषण (Sexual abuse) के आरोपी एवं अन्य अतिक्रमणकारियों को दिये गये नोटिस को वापस लेने की बात कही गई है। अधिवक्ता डा0 कार्तिकेय हरि गुप्ता (Dr. Kartikeya Hari Gupta) ने मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेंदर की अगुवाई वाली खंडपीठ में समक्ष इस मामले को उठाते हुए कहा कि नैनीताल नगर पालिका की ओर से आरोपी के साथ ही अन्य लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस में अतिक्रमण हटाने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। यह भी कहा गया कि यह शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन है। नियमों के अनुसार अतिक्रमण हटाने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया जाना आवश्यक है।
अदालत के समक्ष यह तथ्य भी रखा गया कि मल्लीताल कोतवाली से कुछ दूरी पर दुकानों में तोड़फोड़ की गई है। दुबारा हुई सुनवाई में नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा और नैनीताल नगर पालिका के दोनों अधिशासी अधिकारी कोर्ट में पेश हुए। अदालत के सख्त रुख को देखते हुए नगर पालिका ने जारी किए गए सभी 63 नोटिस को वापस लेने की बात कही। अदालत ने नैनीताल में विरोध प्रदर्शन और तोड़फोड़ पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट इस बात पर भी नाराज थी कि जब दुष्कर्म के आरोपी को हल्द्वानी कोर्ट में पेश किया गया तो पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था मौजूद नहीं थी और इसी का लाभ लेकर अधिवक्ताओं ने आरोपी पर हमले की कोशिश की। अंत में अदालत ने नगर पालिका को नोटिस जारी करने से जुड़े दस्तावेज मंगलवार तक अदालत में पेश करने के निर्देश दिए। इस मामले में अब मंगलवार को सुनवाई होगी।
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