Terrorist attack: शिमला समझौता वास्तव में क्या है? जिसे पाकिस्तान रद्द करने की धमकी दे रहा है!

Thu, Apr 24 , 2025, 09:19 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Pahalgam terrorist attack: पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (terrorist attack) के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए हैं। सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी न करना और दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या कम करना जैसे कदमों से पाकिस्तान की शहबाज सरकार (Shahbaz Government) पर दबाव बढ़ गया है। भारत की इन कार्रवाइयों के जवाब में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक हुई, जिसमें भारत की तरह ही जवाबी कदम उठाने पर चर्चा की गई। सबसे चौंकाने वाला बयान यह था कि पाकिस्तान अब शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दे रहा है। अब सवाल यह है कि आखिर यह शिमला समझौता क्या है?

शिमला समझौते पर हस्ताक्षर कब हुए?

शिमला समझौते की नींव 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद रखी गई थी। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के पूर्वी भाग (अब बांग्लादेश) को आजाद करा लिया और पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। लगभग 90,000 पाकिस्तानी सैनिक भारतीय हिरासत में थे। भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग 5,000 वर्ग मील क्षेत्र पर भी कब्ज़ा कर लिया था। इस युद्ध के करीब 16 महीने बाद 2 जुलाई 1972 को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto) के बीच इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

शिमला समझौते पर हस्ताक्षर क्यों किये गये?

शिमला समझौता वास्तव में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य बनाने तथा भविष्य में किसी भी विवाद को शांति और बातचीत के माध्यम से सुलझाने की प्रतिबद्धता है। इस समझौते में यह शर्त रखी गई थी कि भारत और पाकिस्तान अपने सभी मुद्दों को आपसी बातचीत से सुलझाएंगे। किसी तीसरे देश या संगठन को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस समझौते का एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह था कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) को आपसी सहमति से तय करेंगे तथा कोई भी पक्ष इसमें एकतरफा बदलाव नहीं करेगा। दोनों देशों ने यह भी वचन दिया कि वे एक-दूसरे के विरुद्ध बल का प्रयोग नहीं करेंगे, युद्ध नहीं करेंगे, अथवा झूठा प्रचार नहीं करेंगे। शांति बनाए रखेंगे और संबंधों में सुधार लाएंगे। इस समझौते के तहत भारत ने बिना किसी शर्त के 90,000 पाकिस्तानी सैनिकों को रिहा कर दिया और कब्जे वाले क्षेत्र को भी खाली कर दिया। पाकिस्तान ने कुछ भारतीय कैदियों को भी रिहा किया। लेकिन आज, दशकों बाद, जब भारत ने आतंकवादी गतिविधियों पर पाकिस्तान को घेर लिया है और सिंधु जल संधि जैसे कदम उठाए हैं, तो पाकिस्तान शिमला समझौते को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

पाकिस्तान केवल धमकियां दे रहा है!

शिमला समझौते को रद्द करने की पाकिस्तान की धमकी महज एक राजनीतिक चाल है। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और शिमला समझौता इसका आधार है। इस समझौते को रद्द करने की धमकी देकर पाकिस्तान न केवल अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करेगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि वह शांतिपूर्ण समाधान में विश्वास नहीं रखता।

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