श्रीनगर/नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing) के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत के इस दावे के बाद राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के संरक्षक फारूक अब्दुल्ल (National Conference (NC) patron Farooq Abdullah) ने निजी तौर पर अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया था और यहां तक कि अगर उन्हें ''विश्वास में लिया जाता'' तो इस प्रक्रिया में मदद करने की इच्छा भी जताई थी। दुलत ने अपनी नई किताब 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई' में अब्दुल्ला के हवाले से कहा है कि उन्होंने एक निजी बातचीत में कहा था: ''हम मदद करते (प्रस्ताव पारित करते)। हमें विश्वास में क्यों नहीं लिया गया।''
हालांकि अब्दुल्ला ने दुलत के दावे को किताबों की बिक्री बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया ''सस्ता हथकंडा'' बताया। उन्होंने दावा किया कि पुस्तक की सामग्री लेखक दुलत की ''कल्पना की उपज'' है। उन्होंने जोर देकर कहा कि नेकां कभी भी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का समर्थन नहीं करती। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला के दुलत के साथ बहुत करीबी संबंध हैं ने 4 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी, जो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अचानक लिया गया एक कदम था जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले फारूक अब्दुल्ला और कश्मीर के अन्य शीर्ष राजनीतिक और अन्य नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था और कई महीनों तक हिरासत में रखा गया था।
उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से कुछ दिन पहले अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। पूर्व जासूस प्रमुख ने किताब में लिखा है,''क्या हुआ...कोई भी कभी नहीं जान पाएगा।'' अब्दुल्ला ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर उन्हें ''विश्वास में लिया गया होता तो हम अतिरिक्त सैनिकों को भेजे बिना और सभी को डराए बिना और कश्मीर के लिए इसे स्वीकार करना मुश्किल बनाए बिना इस पर काबू पाने के तरीके खोज सकते थे बिना सभी को परेशान किए और इसके लिए सभी को बंद करने की आवश्यकता नहीं होती।'' दुलत के दावों पर नेकां के राजनीतिक विरोधियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर ''विश्वासघात'' का आरोप लगाया।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि यह स्पष्ट है कि फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के संविधान को खत्म करने और उसके बाद विश्वासघात को सामान्य बनाने में मदद करने के लिए संसद के बजाय कश्मीर में रहना चुना। पीडीपी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने एक्स पर पोस्ट किया: ''दुलत साहब एक कट्टर अब्दुल्ला समर्थक हैं जिन्होंने साझा किया है कि कैसे फारूक साहब अनुच्छेद 370 को खत्म करने के दिल्ली के अवैध कदम से सहमत थे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने से कुछ दिन पहले अब्दुल्ला और पीएम के बीच क्या हुआ इस बारे में पहले से ही संदेह था। इससे यह स्पष्ट है कि फारूक साहब ने जम्मू-कश्मीर के संविधान को खत्म करने और उसके बाद विश्वासघात को सामान्य बनाने में मदद करने के लिए संसद के बजाय कश्मीर में रहना चुना।''
पीडीपी विधायक वाहिद पारा ने नेकां पर जम्मू-कश्मीर को कमजोर करने में चुपचाप मदद करते हुए आक्रोश और उग्र बयानबाजी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ''यह वही नेशनल कॉन्फ्रेंस है जो दशकों तक चुपचाप देखती रही कि अनुच्छेद 370 को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है - रक्षक होने का दिखावा करते हुए वास्तव में सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया। उनकी विरासत प्रतिरोध की नहीं बल्कि राजनेता के रूप में सुविधाजनक चुप्पी की है।'' ''इस अच्छी तरह से तैयार किए गए नाटक का केवल एक ही उद्देश्य है: 370 और 35ए को निरस्त करना और 5 अगस्त, 2019 के बाद फैले डर और धमकी के माहौल को 'लोकप्रिय सरकार' के सुविधाजनक लेबल के तहत सामान्य बनाना।''
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि उन्हें इस खुलासे से कोई आश्चर्य नहीं हुआ। सोशल मीडिया पर लोन ने दुलत को फारूक अब्दुल्ला का ''सबसे करीबी सहयोगी'' और ''वस्तुतः उनका दूसरा रूप'' बताया जिससे पूर्व जासूस प्रमुख के दावे को काफी बल मिला। लोन ने एक्स पर लिखा, ''दुलत साहब की ओर से यह खुलासा बहुत विश्वसनीय है।'' पीसी प्रमुख ने आगे सुझाव दिया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2019 में उसके सहयोग के लिए 2024 के चुनावी चक्र में पुरस्कृत किया जा सकता है।'' मैं फारूक साहब को यह कहते हुए देख सकता हूँ - हमें रोने दीजिए - आप अपना काम करें - हम आपके साथ हैं - अब ऐसा लगता है कि 2019 में की गई सेवाओं का पुरस्कार 2024 में मिला है।
बेशक राष्ट्रीय हित में'' फारूक अब्दुल्ला की बेटी सफिया अब्दुल्ला ने एक्स पर लिखा: ''मैंने दुलत पर कभी भरोसा नहीं किया, जितना मैं कर सकती थी। वह हमेशा एक जासूस था जिसकी वफादारी सिर्फ़ अपने प्रति थी। उसने कभी परवाह नहीं की कि उसने अपनी पिछली किताबों में किसे धोखा दिया।'' वह आगे कहती है: ''मैंने यह किताब पढ़ी है और उसने एक बार फिर सच्चाई के साथ खिलवाड़ किया है।'' नेकां के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने कहा कि किताब अपने आप में विरोधाभासी है और दुलत इसे विवादास्पद बनाना चाहते हैं।
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Thu, Apr 17 , 2025, 07:32 AM