AIADMK walkout: अन्नाद्रमुक ने दूसरे दिन भी तमिलनाडु विधानसभा से किया बहिर्गमन!

Wed, Apr 16 , 2025, 06:28 PM

Source : Uni India

चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा में मुख्य विपक्ष दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) ने तीन मंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति न मिलने पर लगातार दूसरे दिन सदन से बहिर्गमन किया। विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावुरे (M. Appavure) ने आज तीन मंत्रियों के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे को उठाने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया।
प्रश्नकाल के तुरंत बाद, विपक्ष के नेता एडप्पादी के पलानीस्वामी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति मांगी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुमति देने से इन्कार कर दिया कि दो मंत्रियों को अपने विभागों के लिए अनुदान की मांग पर बहस में बोलना है।

अध्यक्ष ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव उनके विचाराधीन है। सदन के नेता और जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन (Duraimurugan) ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि सदन के नियम 72 के तहत नोटिस देने में कुछ भी गलत नहीं है और यह तय करना अध्यक्ष का विशेषाधिकार है कि इस पर चर्चा कब की जानी चाहिए, लेकिन अन्नाद्रमुक सदस्यों ने बोलने की अनुमति न मिलने पर विरोध जताया। इसके बाद विधानसभा में अन्नाद्रमुक सदस्यों ने नारेबाजी कर सदन से बहिर्गमन किया। बाद में विधानसभा परिसर के बाहर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री पलानीस्वामी ने बताया कि उन्होंने नियम 72 के तहत तीन मंत्रियों—केएन नेहरू, के. पोनमुडी और वी. सेंथिलबालाजी—के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अनुमति मांगी थी। इन मंत्रियों पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) छापों, महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान और टीएएसएमएसी में एक हजार करोड़ रुपये की अनियमितताओं के आरोप हैं। 

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस देने के बावजूद उन्हें बोलने नहीं दिया गया। पलानीस्वामी ने कहा कि पहले भी सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे और उन पर चर्चा की गई थी तथा बोलने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, “लेकिन अध्यक्ष हमें तीन मंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति देने से इन्कार कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि यह सरकार इसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं मान रही है।” इसकी निंदा करते हुए अन्नाद्रमुक सदस्यों ने विधानसभा से बहिर्गमन किया। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की ओर से राज्य की स्वायत्तता और संघवाद की रक्षा के लिए तीन सदस्यीय समिति की घोषणा पर श्री पलानीस्वामी ने कहा कि द्रमुक इस संबंध में तब कदम उठा सकती थी जब वह दस साल तक केंद्र में सरकार का हिस्सा थी।

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