तमिलनाडु में दलितों के साथ भेदभाव जारी - राज्यपाल आर एन रवि

Tue, Apr 15 , 2025, 08:31 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सोमवार शाम सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) पर भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के प्रति कृतघ्न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सामाजिक न्याय का दावा करने वाले राज्य में दलितों के साथ भेदभाव अभी भी जारी है और यह दुखद है उन्हें केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए चुनावों के दौरान याद किया जाता है और यह आत्ममंथन का समय है। रवि ने यहां राजभवन में डॉ अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए द्रमुक शासन पर कटाक्ष किया और कहा कि दलितों को केवल चुनावों के दौरान याद किया जाता है और वोट बैंक की राजनीति के लिए उनका नाम लिया जाता है और चुनावों के बाद उन्हें भूल जाते हैं।

उन्होंने कहा, "आज भी बाबासाहेब को केवल चुनावों के दौरान ही याद किया जाता है, जब नेता वोट बैंक की राजनीति के लिए उनके नाम का सहारा लेते हैं। लेकिन चुनाव खत्म होते ही वे उन्हें भूल जाते हैं।" उन्होंने कहा, "यह कृतघ्नता के अलावा और कुछ नहीं है और इससे भी अधिक दुख की बात यह है कि देश भर में दलितों की पीड़ा जारी है।" "भेदभाव अभी भी मौजूद है - इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन तमिलनाडु में जिस तरह की कहानियाँ हम सुनते हैं, वह दिल दहला देने वाली हैं, एक ऐसा राज्य जो सामाजिक न्याय का दावा करता है।" उन्होंने कहा, "एक दलित को चप्पल पहनने और गाँव की सड़क पर चलने के लिए पीटा गया। एक युवा दलित को मोटरसाइकिल चलाने के लिए पीटा गया। एक शिक्षक द्वारा प्रशंसित छात्र पर उसके घर में हमला किया गया। पानी की टंकियों में मानव मल पाया गया।"

उन्होंने कहा कि ये कोई अलग-थलग घटनाएँ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कल्लाकुरिची में अवैध शराब से हुई मौतों जैसी त्रासदियों के दौरान जहाँ 66 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग पीड़ित हुए अधिकांश पीड़ित दलित थे। राज्यपाल ने कहा, "दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। 2020 में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दलित महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। तमिलनाडु में ऐसे अपराधों के लिए सजा की दर राष्ट्रीय औसत से आधी से भी कम है। ये तथ्य हैं राजनीतिक बयान नहीं।" उन्होंने कहा, "दलितों को न्याय के लिए कब तक इंतजार करना होगा, संविधान द्वारा किए गए वादे कब तक अधूरे रहेंगे, यह आत्म-मंथन का समय है।"

उन्होंने डॉ. अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा "हमें उस व्यक्ति के प्रति ईमानदार और आभारी होना चाहिए जिसने हमें संविधान और वह दृष्टि दी जिसने इस देश को प्रगति करने में मदद की है।" उन्होंने कहा "विश्वासघात का वही डर आज भी वास्तविक है। अगर हम इतने बड़े समुदाय को पिछड़ा और वंचित रखते हैं तो यह विश्वासघात है।" उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में हमारे दलित बच्चों की शैक्षिक स्थिति देखें - हाई स्कूल के आधे से ज़्यादा छात्र दूसरी कक्षा की किताब भी नहीं पढ़ सकते। उन्होंने कहा वे 11 से 99 के बीच दो अंकों की संख्या नहीं पहचान सकते। फिर भी उन्हें 100 प्रतिशत पास परिणाम दिए जाते हैं और कॉलेजों में दाखिला दिया जाता है। लेकिन सिर्फ़ डिग्री, कोई कौशल और कोई वास्तविक शिक्षा नहीं होने से क्या होगा।"

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