उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्यपाल कुलाधिपति नहीं रहेंगे-विल्सन

Wed, Apr 09 , 2025, 08:10 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

चेन्नई: तमिलनाडु में सत्तारुढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (Dravida Munnetra Kazhagam) सांसद एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन(P Wilson) ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के अनुसार राज्यपाल आर एन रवि के विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के कारण अब वह सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति नहीं रहेंगे और विधानसभा में पारित विधेयकों के अनुसार यह पद अब मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के पास रहेगा।

यह आज आदेश से ही लागू हो गया है। राज्यपाल के समक्ष लंबित सभी 10 विधेयकों को उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार उनकी मंजूरी मिल गई है।अधिवक्ता विल्सन ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और राज्यपाल अब कुलाधिपति नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, 'उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार राज्यपाल ने विधेयकों को मंजूरी दे दी है इसलिए राज्यपाल को आज से राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से मुक्त किया जाता है।'

यह पूछे जाने पर कि नया कुलाधिपति कौन होगा, श्री विल्सन ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार तमिलनाडु सरकार द्वारा नामित व्यक्ति कुलाधिपति होगा। चूंकि विधेयक में कहा गया है कि राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री पद संभालेंगे इसलिए मुख्यमंत्री से अपेक्षा की जाती है कि वह विश्वविद्यालयों के लिए कुलपति (वीसी) नियुक्त करने की शक्तियों के साथ पद संभालेंगे। उन्होंने कहा कि जिन विधेयकों पर उनकी सहमति के लिए विचार किया जा रहा है उनमें संशोधित विधेयक भी शामिल हैं जिनमें राज्यपाल को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने और मुख्यमंत्री को कुलपति नियुक्त करने की शक्तियों के साथ कुलाधिपति बनाने का प्रावधान शामिल है।

यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होंगे, विल्सन ने कहा कि 10 विधेयकों में वे विधेयक भी शामिल हैं जो राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों से राज्यपाल को हटाने से संबंधित हैं जिनमें वे वास्तविक कुलाधिपति का पद संभाल रहे थे।

तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा पारित विधेयक जिसे अब सर्वोच्च न्यायालय ने मंजूरी दे दी है में तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020; तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2020; तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2022; तमिलनाडु सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक, 2022; तमिलनाडु डॉ. एम.जी.आर. चिकित्सा विश्वविद्यालय, चेन्नई (संशोधन) विधेयक, 2022; तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022; तमिल विश्वविद्यालय (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022; तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022; तमिलनाडु सिद्ध चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक, 2022; तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 और तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 शामिल हैं।

अधिवक्ता विल्सन ने बाद में सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट में कहा, 'मैं संविधान, लोकतंत्र को बनाए रखने और राज्यों के अधिकारों और स्वायत्तता की पुष्टि करने वाले आज के ऐतिहासिक फैसले के लिए भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देता हूं।' उन्होंने कहा, 'मैं अपने नेता तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को इस मामले को चलाने की जिम्मेदारी सौंपने के लिए धन्यवाद देता हूं।'

विल्सन ने लिखा, 'मैं अपने विद्वान भाई वरिष्ठ अधिवक्ता श्री मुकुल रोहतगी, श्री अभिषेक मनु सिंघवी और श्री राकेश द्विवेदी को इस मामले में पेश होने और अपना बहुमूल्य समय और ऊर्जा समर्पित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।' उन्होंने एक्स पर श्री स्टालिन की पोस्ट को भी टैग किया जिसमें कहा गया था, 'हम माननीय उच्चतम न्यायालय के आज के ऐतिहासिक फैसले का धन्यवाद करते हैं और उसका स्वागत करते हैं जो राज्य विधानसभाओं के विधायी अधिकारों की पुष्टि करता है और विपक्ष शासित राज्यों में प्रगतिशील विधायी सुधारों को रोकने वाले केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत राज्यपालों की प्रवृत्ति को समाप्त करता है।'

स्टालिन ने कहा, 'यह संघ-राज्य संबंधों में संतुलन बहाल करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है और तमिलनाडु के वास्तविक संघीय भारत की स्थापना के लिए निरंतर संघर्ष में एक ऐतिहासिक जीत है।' उन्होंने लिखा 'तमिलनाडु के लोगों और हमारी कानूनी टीम को मेरी बधाई! मुकुल रस्तोगी , डा़ ए एम सिंघवी , राकेश द्विवेदी , पी विल्सन।

फैसले की सराहना करते हुए उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा, 'तमिलनाडु की कानूनी लड़ाई ने एक बार फिर पूरे देश को रोशनी दी है।' उन्होंने लिखा, 'मैं तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल की असंवैधानिक देरी के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं।'

उदयनिधि ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रपति के विचार के लिए 10 विधेयकों को आरक्षित करने का राज्यपाल का कार्य अवैध और कानूनी रूप से गलत है।' उन्होंने कहा, 'महत्वपूर्ण बात यह है कि न्यायालय ने यह भी माना है कि राज्यपाल अनिश्चित काल तक स्वीकृति नहीं रोक सकते हैं तथा इसने एक समय-सीमा तय की है - एक से तीन महीने तक - जिसके भीतर राज्यपालों को राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करनी चाहिए।' उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु राज्य विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों की वैधता की पुष्टि की है। जिन्हें पहले राज्यपाल द्वारा रोक दिया गया था।' उन्होंने कहा, 'यह केवल तमिलनाडु की जीत नहीं है बल्कि देश भर के सभी राज्यों की जीत है।' 

उदयनिधि ने कहा, 'हमारे माननीय मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक बार फिर राज्य के अधिकारों की रक्षा करने तथा देश पर एकात्मक संरचना थोपने के प्रयासों का विरोध करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण जीत दर्ज की है।' उन्होंने कहा, 'तमिलनाडु लड़ाई जारी रखेगा तथा तमिलनाडु जीतता रहेगा। हमारी भावना तथा हमारा संकल्प अडिग है। राज्याधिकार , संघवाद ,तमिलनाडुलीड्स।

गौरतलब है कि राजभवन और द्रमुक के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेद थे जिसमें राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के लिए कुलपतियों की नियुक्ति के लिए चयन समिति की नियुक्ति भी शामिल थी। जबकि राज्यपाल इस बात पर जोर दे रहे थे कि यूजीसी के नामित व्यक्ति को चयन समिति का हिस्सा होना चाहिए, द्रमुक शासन उसे बाहर करके पैनल बना रहा था।

कई अवसरों पर राज्यपाल ने कई विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी के नामित व्यक्ति सहित चयन समितियों का गठन किया और राज्य सरकार को भेजा। दूसरी ओर सरकार ने यूजीसी के नामित व्यक्ति को पैनल से बाहर करने की अधिसूचना जारी की और राज्यपाल ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अपनी अधिसूचना वापस लेने और उनके द्वारा गठित एक अधिसूचना को अधिसूचित करने के लिए कहा।

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