उज्जैन। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr Mohan Yadav) ने कहा कि अंतरर्राष्ट्रीय पौराणिक फिल्मों (international mythological films) के माध्यम से विविध देशों की कला व संस्कृति से परिचित होने का अवसर प्राप्त होता है और राज्य सरकार भारतीय संस्कृति और ज्ञान को विश्व तक पहुंचाने एवं विश्व की संस्कृति का भारत से परिचय कराने के लिए संकल्पित है। डॉ यादव कल शाम यहां विक्रमोत्सव-2025 (Vikramotsav-2025) के अंतर्गत आयोजित पौराणिक फिल्मों के अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव के समापन समारोह में शामिल हुए।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में प्रदर्शित अंतरर्राष्ट्रीय पौराणिक फिल्मों के माध्यम से विविध देशों की कला व संस्कृति से परिचित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। निश्चित ही यह महोत्सव अन्य देशों व भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करेगा। राज्य सरकार भारतीय संस्कृति और ज्ञान को विश्व तक पहुंचाने एवं विश्व की संस्कृति का भारत से परिचय कराने के लिए संकल्पित हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार डॉ यादव ने इस अवसर पर विभिन्न देशों से आए राजनयिकों के साथ सौजन्य भेंट की। उन्होंने लेखक सीमा कपूर की आत्मकथा “यूं गुजरी है अब तलक” का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रमोत्सव में धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के आयाम जुड़ रहे हैं। भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि यहां के लोगों ने हर प्रकार की चुनौतियों और विषम परिस्थितियों में अपने आप को दृढ़ रखा और पूरे विश्व के समक्ष एक मिसाल पेश की है। भारतीय संस्कृति पर केन्द्रित फिल्मोत्सव हमारी कला और संस्कृति को पूरे विश्व के समक्ष प्रस्तुत करता है। इस कार्यक्रम में अतीत की कालजयी फिल्मों का प्रदर्शन किया गया है।
डॉ. यादव ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर आधारित फिल्में आज भी समसामयिक हैं। आने वाले समय में और भव्य स्तर पर इस प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए। विक्रम महोत्सव से हम सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम काल को याद करते हैं। सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित नाट्य और फिल्मों के माध्यम से पूरे विश्व में उनकी न्यायप्रियता और उनके सुशासन का संदेश जाता है।
सम्राट विक्रमादित्य के विराट व्यक्तित्व में विभिन्न आयाम समाए हुए हैं। सही अर्थों में उज्जैन 64 कलाओं को प्रदान करने वाली नगरी है। अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के समापन के पूर्व गोपाल कृष्ण (हिन्दी), भगवान श्रीकृष्णा (हिन्दी), श्रीकृष्ण अर्जुन युद्धम (तेलुगु), मीरा रो गिरधा (राजस्थानी), भगवान श्रीकृष्णा चैतन्य (बंगाली), श्रीकृष्णा लीला (तमिल), भगत्नसयो (गुजराती) भाषा फिल्मों का प्रस्तुतिकरण हुआ। कुछ फिल्म विदेशी भाषाओं की भी प्रदर्शित की गयीं।
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