बेंगलुरु: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत (Karnataka Governor Thaawarchand Gehlot) ने मंगलवार को कर्नाटक कृषि उपज विपणन(Karnataka Agricultural Produce Marketing) (विनियमन एवं विकास) (संशोधन) अधिनियम, 2025 को मंजूरी प्रदान की, जिससे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कृषि विपणन नियमों के अंतर्गत आ जाएंगे। कानून के अनुसार, अमेजन, बिगबास्केट, डी-मार्ट और उड़ान जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को राज्य के कृषि कानूनों का पालन करना अनिवार्य है। उल्लंघन करने वालों को छह महीने तक की कैद, एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
विधेयक में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन माध्यम के रूप में परिभाषित किया गया है, जो लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों को निर्दिष्ट बाजारों में लाइसेंस प्राप्त खुदरा व्यापारियों को बाजार शुल्क-भुगतान वाली कृषि उपज बेचने में सक्षम बनाता है। यह किसानों को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने की भी अनुमति देता है।
यह अधिनियम गोदाम सेवा प्रदाताओं को नियंत्रित करता है, सेवा शुल्क को नाशवान वस्तुओं के लिए बिक्री मूल्य को पांच प्रतिशत और अन्य उत्पादों के लिए दो प्रतिशत तक सीमित करता है। उन्हें सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित करना चाहिए, माल का बीमा करना चाहिए, और इलेक्ट्रॉनिक वजन और अग्नि सुरक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। उन्हें गिरवी ऋण भी देना होगा, जिसमें विक्रेताओं को पांच दिन से अधिक देरी से भुगतान के लिए प्रति दिन लेनदेन मूल्य का एक प्रतिशत मुआवजा देना होगा। अनुपालन न करने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
अधिसूचित कृषि उपज का व्यापार करने वाले ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को कृषि विपणन निदेशक से लाइसेंस प्राप्त करना होगा, जो शुल्क और सुरक्षा जमा निर्धारित करेगा। लाइसेंसधारियों को सुरक्षित भुगतान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए, पारदर्शिता रखनी चाहिए और गुणवत्ता प्रमाणन और संपार्श्विक वित्तपोषण जैसी सेवाओं की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
इन प्लेटफ़ॉर्म को केवल बाज़ार शुल्क-भुगतान वाली वस्तुओं का ही व्यापार करना चाहिए। गैर-अनुपालन प्लेटफ़ॉर्म लागू बाज़ार शुल्क के लिए उत्तरदायी होंगे। लाइसेंसिंग प्राधिकरण को समय-समय पर लेन-देन की रिपोर्ट देनी होगी।कृषि विपणन निदेशक धोखाधड़ी, उल्लंघन या विपणन गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करने के लिए लाइसेंस निलंबित या रद्द कर सकते हैं। कर्नाटक अपीलीय न्यायाधिकरण में 30 दिनों के अंदर अपील दायर की जा सकती है।
भुगतान, वजन, गुणवत्ता और शुल्क से संबंधित विवादों की रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर की जानी चाहिए और उनका समाधान 60 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। राज्यपाल गहलोत ने निजी वित्तपोषकों द्वारा उत्पीड़न पर अंकुश लगाने के लिए संशोधनों को भी मंजूरी दी, जिनमें कर्नाटक अत्यधिक ब्याज वसूलने पर रोक (संशोधन) अधिनियम और कर्नाटक धन उधारदाता (संशोधन) अधिनियम शामिल हैं।
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Wed, Mar 26 , 2025, 08:10 AM