चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (MK Stalin) ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि तमिल भाषा की रक्षा और तमिलों के उत्थान के लिए घोषणा जल्द ही की जाएगी। उन्होंने दृढ़ता से अपना रुख दोहराते हुए कहा कि वह एनईपी के अंतर्गत परिकल्पित तीन-भाषा नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे और तमिलनाडु में मौजूदा और लंबे समय से चले आ रहे दो-भाषा फार्मूले से विचलित नहीं होंगे। विधानसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे पर विशेष उल्लेख का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने घोषणा किया कि वह केंद्र से मिलने वाले धन के लिए वह राज्य के अधिकारों को नहीं छोड़ेंगे और राज्य में हिंदी थोपने के उद्देश्य से बनाई गई तीन-भाषा नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
केंद्र ने स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एसएसए के अंतर्गत राज्य को देय 2,152 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि तमिलनाडु ने एनईपी को स्वीकार नहीं किया है, जिसमें राज्य में तीन-भाषा नीति को लागू करने की प्रशंसा की गई है। अपनी बार-बार दोहराई गई टिप्पणी को याद करते हुए कि अगर केंद्र तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये भी जारी करता है तो भी वह तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेंगे, श्री स्टालिन ने कहा कि यह पैसे का मामला नहीं है, बल्कि तमिल भाषा, तमिल लोगों, छात्रों और युवा पीढ़ी की सुरक्षा का मामला है।
उन्होंने कहा कि “हम तमिल गौरव की शपथ लेने वाले बंधुआ मजदूर नहीं हैं, क्योंकि केंद्र ने धन जारी करने से इनकार कर दिया है। द्रविड़ मॉडल डीएमके सरकार के पास इन बाधाओं को दूर करने के साधन हैं, क्योंकि उसका हमेशा मानना रहा है कि सामाजिक न्याय और तमिलों की सुरक्षा उसकी दो आंखें हैं।” स्टालिन ने सदन में कहा कि वह इस बात पर अडिग हैं कि राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने और तमिलनाडु के अधिकारों को कायम रखने से ही तमिल भाषा की रक्षा होगी और तमिलों का उत्थान होगा।
उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में जल्द ही घोषणा करेंगे। यह देखते हुए कि राज्य संघीय सिद्धांतों की रक्षा और राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए लड़ने के लिए मजबूर है, स्टालिन ने कहा कि हम तीन-भाषा नीति को कभी स्वीकार नहीं करेंगे, जिसे केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार एनईपी के अंतर्गत लागू करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने विधानसभा में विपक्षी एआईएडीएमके के उपनेता आर बी उदयकुमार से कहा कि इस पर राज्य सरकार के रुख पर कोई संदेह करने की जरूरत नहीं है।
उदयकुमार ने पीएम योजना पर केंद्र सरकार को पूर्व मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए यह मुद्दा उठाया था। स्टालिन ने कहा कि तमिल और अंग्रेजी तमिलनाडु की दो भाषाएं हैं और ये हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है और वे इस रुख से कभी विचलित नहीं होंगे। उन्होंने दो-भाषा नीति पर कायम रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। स्टालिन ने एक बार फिर दोहराया कि डीएमके किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं है और डीएमके संस्थापक और बाद में मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई द्वारा जनवरी 1968 में विधानसभा में पेश किए गए प्रस्ताव को याद किया, जिसमें केंद्र द्वारा हिंदी थोपने को सख्ती से खारिज किया गया था।
उन्होंने कहा कि तमिलों ने दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई है और राज्य में अपनाई गई दो-भाषा नीति के अंतर्गत नई ऊंचाइयों को छुआ है, तथा इस नीति को कई राज्यों ने भी स्वीकार किया है। स्टालिन ने कहा कि वह ऐसी भाषा की अनुमति नहीं देंगे जो तमिलों को नष्ट कर दे। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि दो भाषाएं तमिल और अंग्रेजी पर्याप्त है तथा अगर कोई अन्य भाषा थोपी गई तो इससे मातृभाषा खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसी को भी कोई भी भाषा सिखाने से नहीं रोक रही है।
उन्होंने कहा कि हिंदी थोपना किसी भाषा को थोपना नहीं है। हम इस बात पर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि हिंदी थोपने से हमारी संस्कृति नष्ट हो जाएगी और हमें तीन भाषा नीति के नाम पर अन्य भाषाओं को नष्ट करने के केंद्र के प्रस्तावित प्रयासों पर पूर्ण विराम लगाना होगा। एआईएडीएमके महासचिव और विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी की आज दिल्ली यात्रा का स्पष्ट उल्लेख करते हुए, श्री स्टालिन ने सुझाव दिया कि उन्हें इस मुद्दे को उन नेताओं (भाजपा नेताओं के संदर्भ में) के साथ उठाना चाहिए, जिनसे वह दो-भाषा नीति को जारी रखने में राज्य के अधिकारों की रक्षा के लिए वहां मिलेंगे।
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Wed, Mar 26 , 2025, 07:53 AM