मुंबई: पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए विस्तृत खुलासे की सीमा को आज 25 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 हजार करोड़ रुपये करने का फैसला किया। सेबी बोर्ड ने सोमवार को यहां 209वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के उल्लंघन को रोकना है। अब 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक इक्विटी एयूएम वाले एफपीआई को अपनी स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण रखने वाली सभी संस्थाओं का पूरा विवरण देना होगा।
नियामक का यह फैसला वित्त वर्ष 2022-23 से 2024-25 के बीच नकद इक्विटी बाजार में ट्रेडिंग वॉल्यूम के दोगुने से अधिक बढ़ने के बाद आया है। सेबी का कहना है कि यह कदम प्रेस नोट 3 के उल्लंघन को रोकने और बाजार के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। 24 अगस्त, 2023 के परिपत्र में निर्धारित नियमों के तहत, बड़े एफपीआई को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह खुलासा अनिवार्य है।
सेबी ने कहा कि हालांकि किसी एकल कॉर्पोरेट समूह में 50 प्रतिशत से अधिक इक्विटी एयूएम रखने वाले एफपीआई के लिए अतिरिक्त प्रकटीकरण का नियम यथावत रहेगा। सेबी ने स्पष्ट किया कि न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) और शेयरों के अधिग्रहण (एसएएसटी) मानदंडों में कोई बदलाव नहीं होगा। सभी एफपीआई को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा।
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