RSS opposes reservation: कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण का संघ ने किया विरोध

Sun, Mar 23 , 2025, 10:05 PM

Source : Uni India

बेंगलुरु।  कर्नाटक सरकार के सरकारी ठेकों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विरोध (protest) किया है और इसे संविधान और बाबा साहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) के विचारों के विरुद्ध बताया है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने रविवार को संपन्न प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक के समापन के बाद संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि संविधान धर्म आधारित आरक्षण की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आरक्षण, भीमराव अम्बेडकर के विचारों के विरुद्ध हैं।

श्री होसबोले ने कहा, "बाबासाहेब अंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) द्वारा रचित संविधान में धर्म आधारित आरक्षण को स्वीकार नहीं किया गया है। ऐसा करने वाला कोई भी व्यक्ति हमारे संविधान निर्माता के विरुद्ध जा रहा है।" उन्होंने कहा कि कि संयुक्त आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र द्वारा मुसलमानों के लिए धर्म-आधारित आरक्षण लागू करने के पिछले प्रयासों और ऐसे कोटे के प्रावधानों को उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे विवाद के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो लोग भारत के मूल्यों के खिलाफ गए, उन्हें प्रतीक बना दिया गया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वालों को तो स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है, लेकिन जिन्होंने आक्रमणकारियों का विरोध किया उन्हें यह सम्मान नहीं दिया जाता। उन्होंने दिल्ली के औरंगजेब रोड को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे अब्दुल कलाम रोड में बदला गया है। उन्होंने कहा कि भारत में औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को कभी एक प्रतीक के रूप में नहीं माना गया जबकि औरंगजेब को इस श्रेणी में रखा गया है।

श्री होसबोले ने मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ लड़ने के लिए राजपूत राजा महाराणा प्रताप जैसे वीरों की प्रशंसा करते हुए कहा,“ आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग भारत के लिए खतरा हैं। हमें उन लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए जो भारतीय लोकाचार के साथ हैं।” भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और संघ के रिश्तों को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान अक्सर इस रिश्ते को लेकर कई तरह के आकलन किए जाते हैं, लेकिन असल आकलन तो देश की जनता ने किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी देश का एक अभिन्न हिस्सा है और अगर वह किसी भूमिका में हैं, तो वे हर सरकार के लिए अभिभावक के रूप में हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार का हिस्सा नहीं बनता, तो यह अलग बात है, लेकिन फिलहाल आरएसएस और सरकार के बीच कोई संकट नहीं है और सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है।

वक्फ से जुड़े मुद्दे पर श्री होसबले ने कहा कि यह सिर्फ आरएसएस का ही मुद्दा नहीं है, बल्कि समाज के कई लोग भी वक्फ की जमीनों के मामले में आवाज उठा रहे हैं।इसके हल के लिए सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) का गठन किया है और उसके फैसले का इंतजार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संघ समाज से बाहर नहीं है, बल्कि वह समाज का एक अभिन्न हिस्सा है।इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि राम मंदिर का निर्माण आरएसएस की निजी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से समाज की कोशिशों का नतीजा है।

 होसबले ने कहा, "संघ कोई मानदंड तय नहीं करता, और न ही किसी खास काम को खुद के नाम से जोड़ता है। संघ समाज का हिस्सा है और समाज ही वह ताकत है, जो बदलाव और उपलब्धियां लाती है।" उन्होंने भारत की गौरव और संस्कृति के पुनर्निर्माण का श्रेय भी समाज को दिया और कहा कि भारत की अस्मिता और संस्कृति को पुनः स्थापित करने का काम समाज ने किया है। यह सब भारत के लोगों की मेहनत और कोशिशों का नतीजा है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ऐसे कार्यों को श्रेय समाज के समग्र योगदान को दिया जाना चाहिए, और यह समाज की सामूहिक उपलब्धि है।

प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक में देशभर के 1443 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें पूर्वोत्तर से लेकर कन्याकुमारी और जम्मू-कश्मीर तक के स्वयंसेवक शामिल थे। सभा में संघ के पिछले एक साल के कार्यकाल की समीक्षा की गई और आने वाले वक्त में संघ के विस्तार और कार्यकुशलता पर जोर देने की बात की गई। होसबले ने कहा, "विजयादशमी के दिन 100 साल पूरे हो जाएंगे। यह आत्मचिंतन का वक्त है और समाज तक हमारे काम को पहुंचाने की जरूरत है. साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए आगे का रोड मैप तैयार किया गया है।"

संघ के 100 साल पूरे होने पर विजयादशमी के दिन, दो अक्टूबर को पूरे देश में एक लाख जगहों पर उत्सव मनाया जाएगा, साथ ही शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत होगी। संघ के सरसंघचालक राजधानी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करेंगे। देश भर में एक देश, एक संस्कृति के विचार को मजबूती से स्थापित करने पर बल दिया जा सके और देश की एकता और संप्रभुता के लिए काम किया जा सके। इसके अलावा, 15 से 30 साल के युवाओं के लिए खास कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

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