GBS : पुणे के एक प्रसिद्ध अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने जीबीएस (GBS) पर काबू पा लिया है, लेकिन अब इस पर नियंत्रण खोने का समय आ गया है। एक बच्चे को स्कूल जाते समय चक्कर आने का बहाना बनाकर इलाज के लिए निजी अस्पताल भेजा गया, जहां उसे बताया गया कि उसे जीबीएस संक्रमण है। बाद में, जब बच्चे का पुणे के एक प्रसिद्ध अस्पताल में इलाज चल रहा था, तो दवा देते समय उसके एक हाथ में सूजन आ गई और उस हाथ में रक्त का प्रवाह रुक गया। इसका रंग भी बदल गया। दवा के दुष्प्रभाव के कारण छोटे लड़के को अपना हाथ खोना पड़ा।
वास्तव में क्या हुआ?
"जब मेरा बेटा स्कूल में था तो उसे चक्कर आने लगा और जब मैं उसे पास के अस्पताल ले गया तो उन्होंने उसे भर्ती करने के बजाय नवले अस्पताल या भारती अस्पताल ले जाने को कहा।" इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज शुरू किया गया। 15 जनवरी को उनका इलाज शुरू हुआ। लड़के के पिता का कहना है, "उसका अभी भी इलाज चल रहा है और गलत इंजेक्शन लगने के कारण उसका हाथ सूज गया है तथा खून के थक्के जम गए हैं।"
"उन्होंने सर्जरी के माध्यम से इसे हटाने की कोशिश की लेकिन यह बाहर नहीं आया और बढ़ता ही गया।" इसी कारण मेरे हाथ काले हो रहे हैं। संक्रमण फैल रहा है और उसके दाहिने हाथ को कलाई से काटना पड़ेगा, इसलिए उसके दाहिने हाथ का ऑपरेशन किया गया है। इससे उनके जीवन का प्रश्न खड़ा हो गया है। वह अभी केवल 7-8 साल का है। लड़के के पिता ने मांग की है, "इसलिए सरकार और नगर पालिका को हमारी मदद करनी चाहिए।"
"यह लड़का जी.बी.एस. से पीड़ित पहले दो-तीन रोगियों में से एक है।" निदान के बाद से ही उन्हें अनुशंसित उपचार, IVIG उपचार दिया गया था। इसे देते समय उनके एक हाथ में सूजन आ गई। आगे के परीक्षणों से पता चला कि रक्त प्रवाह ठीक से काम नहीं कर रहा था। सूजन बढ़ती गई और उसका रंग बदल गया, इसलिए पंजा हटाने के लिए सर्जरी करनी पड़ी। डॉ. संजय नातू ने दिया है।
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Thu, Mar 06 , 2025, 09:35 PM