ग्रीनपोलिस आवास परियोजना विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं दी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति

Tue, Mar 04 , 2025, 01:38 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने हरियाणा के गुरुग्राम की 'ग्रीनपोलिस आवास परियोजना (Greenpolis Housing Project)' विवाद में याचिकाकर्ताओं (फ्लैट खरीदने वाले) को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति देने के साथ ही मंगलवार को मामले का निपटारा कर दिया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मुकेश कंवल (फ्लैट खरीदारों में शामिल) और अन्य की रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय में रिट याचिका या सिविल मुकदमा दायर (writ petition or civil suit) करके कानून के तहत उचित उपाय का लाभ उठाने की स्वतंत्रता देने के साथ मामले का निपटारा किया।

'मुकेश कंवल बनाम हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण(Mukesh Kanwal vs Haryana Real Estate Regulatory Authority), गुरुग्राम' का यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष 15 जनवरी 2024 को दाखिल किया गया।
मुकेश के साथ 13 याचिकाकर्ताओं में शामिल विजय जैन ने शीर्ष अदालत के इस रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमें इस आदेश से बेहद निराशा हुई है। हमे समझ में नहीं आ रहा कि एक साल से अधिक समय बीतने के बाद अब फिर से शून्य से शुरू करना है। जो भी हो, हम उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हुए तमाम कानूनी विकल्पों का सहारे लड़ाई जारी रखेंगे।”

उन्होंने कहा, “ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ने हमें (सैंकड़ों खरीदारों) को 2012 में 2016 तक फ्लैट देने का वादा किया था। हम अपने-अपने फ्लैट का 90 फ़ीसदी रकम (90 लाख से एक करोड़ रूपए) का भुगतान कर चुके है, लेकिन विभिन्न अदालतों और संबंधित प्राधिकरणों का दरवाजा खटखटाकर अंत में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अब हम करीब एक साल समय बीतने के बाद वहीं के वहीं खड़े हैं।”

जैन ने कहा कि कई जगहों पर निराशा हाथ लगने के बाद हमने हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, गुरुग्राम दरवाजा खटखटाया था, जिसने वर्ष 2018 और 19 में आदेश पारित कर कहा था कि 2020 तक फ्लैट मिल जाएंगे, लेकिन उसे पर अमल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि फ्लैट खरीदने वाले करीब 1600 लोगों में कई लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बहुत सारे लोग मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि लोगों ने सेवानिवृत्ति के बाद बेहतर जिंदगी की तलाश में 12 साल पहले फ्लैट बुक करवाया था और वादे के मुताबिक भुगतान किया, लेकिन अब दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं।

याचिकाकर्ताओं ने हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (गुरुग्राम) के अलावा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग (हरियाणा) हरियाणा सरकार, ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (फ्लैट बनाने वाली कंपनी) और ग्रीनपोलिस वेलफेयर एसोसिएशन को प्रतिवादी बनाया था।
शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने वालों में कंवल और जैन के अलावा प्रशांत कुन्दनानी, सुभाशीष नाथ, जुनैद अहमद सिद्दीकी, अंकुश जैन, शैलेश कुमार खुराना, मनीषा बैद, रवि बाला ढुंडिया, मोहुआ दास, मनोज बहल, नीतिका बहल और सैयदा मासूम शबनम शामिल हैं।
 

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